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શ્રી જેસલમેર તીર્થ સ્તવન,
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पार्श्व संभव शांति शीतल आदिनाथ सुहावनो, चन्द्रप्रभ महावीर स्वामी अष्टापदजी पावनो.
श्रीसुपारसनाथ सनाथ करो-जैसल० ५ ॥ आठ मन्दिर है किले में आठ गुण सिद्ध मानिये, आत्म गढ में गति अष्टमी मिलेगी दृढ जानिये.
कर्म अाठ हरी भवसिंधु तरो-जैसल• ६ ॥
फलोदी से संघ आया संघपति पांचू खरा, संघपति प्रभु आप होकर संघपति पांचू धरा.
जाने गूढ गीतारथ ज्ञानी बरो-जैसल० ७ ॥ अंक वसु निधि चंद्रसाले भोमवारे भेटिया, वदि फान्गुन चौथ को श्रीसंघने दुख मेटिया,
प्रभु तीरथ तीर्थपति सिमरो....जैसल ८॥ आत्मलक्ष्मी नाथ प्रभुजी आत्म लक्ष्मी दीजिये, तरण तारण विरुद अपना वह सफल कर लीजिये.
प्रभु वल्लभ संघ में हर्ष भगे-जैमल. ६ ॥
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