SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 26
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir આત્માનંદ પ્રકાશ सहित-रतलामसें चार गाज ( चार कोष) के फासलेपर धामणोद गाममें जिनेश्वर नगवान्की माचिन मूर्ति जमिनमें से प्रगट हु हे. . इस अद्भुत नगवानकी जव्य प्रतिमाजीके दर्शनके वास्ते मुनि महाराज श्री हंसविजयजी आदि मुनिराज पधारे थे इस प्रसंगपर रतलामके जंडारीजो आदि बहुत श्रावक लोक हाजर हुवेथे. इस बातको खबर मिलतेगा, सेलानेसे बक्षिजी आदि नामांकित श्रावक श्रावीकाए जी आयेथे और जो सेमलिया पंचेमके श्रावक लोग आयेथे; पूजा तथा स्वामीवात्सस्य कियाथा. महाराजश्रीका व्याख्यान सुनके धाममोदके ढुंढक नाइओंने नी यात्रीयोंकी खानपानादि से स्वागत कियाथा वहांसे पंचे नामती सेमलिया वांगरोद आदि ग्रामोंमें जैन चैत्योंके दर्शन करते हुवे तथा ढुंडकादिकोकों धर्मोपदेश देते हुवे महाराज श्री रतलाममें वापिस पधारे हैं यहांपर हाल में पन्यासजी संपतविजयजी उपधान क्रिया करा रहा हैं। मैं सब ग्राम नग्रोंके स्वधर्मी जाताओंसे प्रणाम पू. र्वक अर्ज करता हूं कि आप अवश्य इस अपूर्व मूर्त्तिके दर्शन करके मनुष्य जन्म सफन करें। (प्रतापगढसे मुनि वंदनार्थे श्रावक लोकोका रतनाममें आगमन और विद्यार्थीओको ईनाम.) प्रताबगढके श्रावक मुनि माहाराज श्री हंस विजयजी पन्यासजी-श्री संपतविजयजीके दर्शनके लिये पधारेथे. व्याख्यानमें प्रनावना बांटी गईथी, तथा आत्मानंद जैन श्वे. पाठशालाके विद्यार्थीयोंको घोया बक्ष्मीचंदजोके तफेसे महाराजश्रीके हस्तकमलसे घीयाजी कृत हिन्दी जैन पृथम पुस्तककी प्रतियें पारितोषिक देनेमें आईथी तथा कन्याओंको साध्वी श्री कल्याणश्रीके हाथसें दी गईथी॥ For Private And Personal Use Only
SR No.531138
Book TitleAtmanand Prakash Pustak 012 Ank 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Atmanand Sabha Bhavnagar
PublisherJain Atmanand Sabha Bhavnagar
Publication Year1914
Total Pages28
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationMagazine, India_Atmanand Prakash, & India
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy