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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir MITRA जानवरोने आपणी बेदरकारीयी केदखानानी जेम पांजरापोळ जेवां मकाधमां कशी सगवरू कों वगर गांध) राखवां जोए नहि, केटलांक एवा स्थलोमां ते बापमां अनाथ जानवरो गोंधाइ गोंधाइने मरे अथवा तेमाना कोई सबळां जानवरोधी नबळां जानवरोनो कचम्घाण निकळी जाय डे अथवा तो रीवा रीबाग्ने नाश थाय ने तेम न ज थर्बु जोइए. ए करता तो उक्त जानवरोने बूटा छवायां राखवां अथवा फरवा देवां छीक गणाय, हातमां आपणी गणाती मांजरापोळसा अनाय जानवरोने घरको काल मळे बे, ए जोड्ने सहृदय जनोसे कमकमाटी झुटे . श्रा कधी देखरेख राखनाराओनी बेदरकारी बताने से. नेमो अमुक बेठ जेवं काय करनारा आपघम बोको अपर प्रक्राम करवान बोली देने, अने पोते बेनी कवी संसाब लेता नथी वेडी ते दुस्खी जानवरोनी केवी अने केटशी सवजन अश्शन डे नो खरो ख्यान तो नज़रे जोतारने का वधारे पाने . मा उपरांत भने श्रा करतां अत्यंत जपयोगी बाबत पूछे के गमे तेव्हा मांगलिक प्रसंगो जपर पोताना जे मानव बांधवो अने विशेष करीने साधर्मिक बधोनी स्थिति कफोकी येली जाणाती होय तेमने यथायोग्य दाद आपीने सहायरुप था जोइए, गमे तेवा जानवर करतां एक मानव बंधु अने एथी पण एक न साधर्मी बंधुनी जींदगी वधारे किंमती . तेनुं यथायोग्य सहायवमे रक्षण कर ए आपणी पवित्र फरज . एनी जे अत्यारे बहुधा नपैदा कराती जोवामां आवे जे ते बहू खेदकारक वीना के. अत्यार सुधामा आपणे द्रव्य दया (अनुकंपा) आश्री कडं . एथी श्रागळ वधतां कहे जोइए के भाग्यशाळी जनोए मांगलिक प्रसंगो पामीने पोताना मानव बंधुओने अने तेमां पण विशेषे करीने पोताना साधर्मी बंधुओने समयोचित त व्यवहारिक अने धार्मिक केळवणी आपीने धरवा योग्य व्यवस्था करवी जो इए, केटलाक लोळा दीलना झनुनी लोको एवा मांगलिक प्रसंगो उफा जोनजोतमां ज्ञाति जमण विगेरे करी सेंकमो बनके हजारो पैसा खर्ची नांखेने त्यारे तेवे प्रसंगे पोताना जाति बंधुओ तेमन धर्म बंधुओ कंइक तेवीज संगीन सहाय घेळवी पोतातुं अविष्य सुधारी शके एवी योजना करी आपवानुं लक कोई विरलाने ज होय . उतां एज मार्ग प्रशंसापात्र अने अनुकरणीय डे के जेयी पोताना मानव बंधुअो, तेमज साधी बंधुओनुं जीवित द्रव्य भावथी सुधारी शकाय. श्रा छेलु अति उपयोगी उपकारक कार्य पार पामचा माटे समयना जाण नि:स्वार्थी साधुजनो (सजनो)नी सलाहनही तदनुसार योजना करवी जोइए अने प्रथम जणावेली For Private And Personal Use Only
SR No.531122
Book TitleAtmanand Prakash Pustak 011 Ank 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Atmanand Sabha Bhavnagar
PublisherJain Atmanand Sabha Bhavnagar
Publication Year1913
Total Pages28
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationMagazine, India_Atmanand Prakash, & India
File Size2 MB
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