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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रीवस्थाना होमावतीने वे बोल. ૪૫ ( माँ माग्यो ) दाम आपी ते क्रूर लोकोए आोलां पशु पंखीयोने टोकावी पोताने कृतार्थ लेखोटो. जो प्राथी ए अनाथ पशु पंखीयोने क्षणभर आश्वासन मळे 2 खरं, पण सा नीच निर्दय दीलना लोकोए उपजावेला पैसानो केवो गेरलपयोग करेछे के करशे तेनो विचार सरखो पण आपणा भोळा स्वभावना बंधुओ जाग्ये ज करने अने तेथे परिणामे जे महा अनर्थनी परंपरा चाली जायळे तेना कारणिक केटलाक अंशे आपणा जोळा स्वनावना दयाळु बंधुओं ज बनता होय एम जणाय बे, प्हेला नीच निर्दय लोको पोते मारफान करीने के थोमाक पैसा स्वचने आळां ए अनाथ जानवरोनुं वखत वर्तीने - गरज समजीने पुष्कळ द्रव्य कही वेचाण करेछे अपने एज द्रव्यथी पाठां एवा ने एवा अनाथ जानवरोंपशु पंखी ओने घणा छोटा प्रमाणमां (संख्याबंध) खरीदने के गमे तेवी निर्दय रीतें जाळो बिगेरे नांखीने पकड़ी सावेळे अने पोतानो ए नीच धंधो धमघोकार चला अनाथ प्राणीयोने अनेक रीते त्रास प्रापतां त्राय त्राय पोकरावे छे. मुहानी बाबत उपर दयालु जाइ ब्देनोए बहु बहु विचार करी जेम दुःखी अनाथ प्राणीयो उपर आपण गेरसमजने सीधे निर्दय लोको तरफथी गुजरतुं घातकीपण अटके अथवा झोलुं याय तेम विवेकयी वर्तवानी जरुर छे. अनायासे प्रापणा शरणे आदी चढेला दीन-दुःखी अनाथ प्राणी प्रोनुं आत्मनोग प्रापीने रक्षण कर ए आपण फरज बे खरी; पण जे नीच निर्दय स्वभावना लोको जाणी जोsने आपणा जोळपणनो लाभ न आपणी पासेथी मनमानता पैसा ओकावी पोतानो घातकी धंधो वधारता जता होय तेमने करगरीने अने म माग्या पैसा आपी तेम जाण जोड़ने ( इरादा पूर्वक ) आपणी नजरे आणी राखेला जानवरोने आ मावा करतां तेनो वधारे व्याजबी (न्याय वाळो ) रस्तो बढी जे घातकी लोको आपण धर्म - नागण जाणी जोड़ने ढवता होय तेमने कायदानी रुये नसीयत पहचामी ते नाथ जानवरो आपणा कबजे करी लेवा अथवा तेमनी उपर नाहक गुजरतुं घातकीपणुं ज टकाववं ए वधारे उचित जगाय छे, तेमज कसाइ मोकोने जे कोइ जानवरो वेचता होय तेमनेज तेम करतां समजण आपीने ट काववा, अथवा तो ते अनाथ जानवरोने परजार्या ज योग्य किंमतथी खरिदी क्षेत्रां उचित छे. ए रीते जानवरोने मारतां अटकावी तेमने पोताना कबजे करी केवी मावजतय। साचववा जोइए ए प ओडी अगत्यन। वात नथो, आवा अनाथ For Private And Personal Use Only
SR No.531122
Book TitleAtmanand Prakash Pustak 011 Ank 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Atmanand Sabha Bhavnagar
PublisherJain Atmanand Sabha Bhavnagar
Publication Year1913
Total Pages28
LanguageGujarati, Hindi
ClassificationMagazine, India_Atmanand Prakash, & India
File Size2 MB
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