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२२.४
ભાતત્વ પ્રકાશ
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के वास्ते अभी इस पातिने कोई उपाय नही सोचा यह उन्ही का गुणगावो जो पहले ताकतवर उपदेशक रूपी कमान्डरोंने बो मजबूत जहाज खडे किये हैं जो बारम्बार टक्करें लगनेपर भी जरा नहीं हिलते वरना अवतक कभीका चूरा हुवाहोता हो मरम्मत के वास्ते जवर विशेष घोर हुवा है एैकना एक आकिल कमान्डर हुवा है जो मरम्मत करने के अलावा उन मगरमच्छों को भी पकउता गया है जैसाकि पहले घोर हुवा तो साढेतीन क्रोड ग्रंथ कर्ता हेमचंद्राचार्य हुन बाद में घोर हुवा तो न्याय विशारद उपाध्याय यशोविजयजी हुये फिर घोर हुवा तो कलीकाल सर्वज्ञ विययानंद मूरि आत्मारामजी महाराज हुवे कि जिन्होंने इस धर्म रूपी जहाज की संभाल की यदि अब फिर संभाल नः की जावेगी तो फिर वोही घोर होजायेगा.
मित्रवसे, यदि अभ्यंतर दृष्टिसे विचार करोगे तो आपको सिवय उपदेशक कंडद्वारा उपदेशकों को कायम कर भारत भ्रमण कराने के अलावा कोई तदवीर नही मुझेगी जो इस धर्म रूपी जहाज की रक्षा करे यदि उपदेशक होंगे तो वो ग्रामानुग्राम जैन जाति को समझा सकेंगे विद्याका प्रचार करावेंगे कोलिज पाठशाला खुलवाएंगे पुस्तक प्रचार करावेंगे चंदा एकत्र कराकर भिजवाएँगे समाचार पत्र जैसे निकलने चाहीयें प्रकाश करेंगे जो जैनोंपर आक्षेप हो रहे हैं उनका समाधान करेंगे जो शास्त्रार्थ करनेको आयेंगे उसको पराजय करेंगे नगर नगरमें वाज करेंगे गरज के अनेक काम धर्म और जातिकी उन्नति करेंगे वरना आप चाहें सारी जिंदगी मगज मारीये कुच्छ नतीजा नः होगा. --- शेठ जवाहरलाल जैनी. सिकन्दराबाद यू पीः जिल्ला - बुलन्द शेहर.
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