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________________ भास्कर [ भाग २ व्याकरण कातन्त-सूत्र-१ बर्द्धमान सूरिकृत 'कातंत्र विस्तार' (कलाप) २ सोमकीर्ति सूरिकृत 'कातंत्र पंजिका' वृत्ति ३ जिनप्रभ सूरिकृत 'कातंत्रविभ्रम' वृत्ति ४ चारित्रसिंहकृत 'कातंत्रविभ्रमावचूरि' ५ मेरुतुंगसूरिकृत 'बालावबोध' वृत्ति ६ विजयनन्दनकृत 'कातंत्रता' ७ दुर्गसिंहकृत वृत्ति ८ पृथ्वीचंद्रसूरिकृत 'दौर्गसिंह" वृत्ति ६ मुनिशेखरकृत वृत्ति • १० प्रबोध मूर्तिकृत 'दुर्गपदप्रबोध' वृत्ति ११ मुनिचंदसरिकृत वृत्ति १२ गौतमकृत 'कातंत्रदीपिका' १३ विजयानंदकृत 'कातंत्रोत्तर' पाणिनि- रामचंद्रर्षिकृत 'धातुपाठ' टीका सिद्धांतचन्द्रिका-सदानंदकृत 'सुबोधिनी' टोका। मुग्धबोध- कुलमंडनकृत 'मुग्धावबोध उक्तिक' काशिकान्यास-जिनेंद्रबुद्धिकृत कविकल्पद्रुम-विजयविमलकृत अवचूरि सारस्वत- १ सहजकीर्तिकृत वृत्ति २ भानुचंद्रकृत टीका ३ दयारतकृत वृत्ति ४ मेघरनकृत 'दुटिका' वृत्ति ५ यतीशकृत 'सारस्वतदीपिका' वृत्ति ६ चंद्रकीरिकृत वृत्ति ७ नयसुंदरकृत टीका ८ श्रा० मंडनकृत सारस्वत मण्डन टीका ॐ इसी कातन्त्र सूत्र पर दिगम्बराचार्य भावसेन त्रैविग्रदेव कृत भी "कातन्त्ररूपमाला" नाम की एक प्रशस्त वृत्ति है। बल्कि कई विद्वान् कातन्त्रसूत्र के रचबिता शर्ववर्मा को जैन मानते हैं। (सम्पादक)
SR No.529551
Book TitleJain Siddhant Bhaskar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Siddhant Bhavan
PublisherJain Siddhant Bhavan
Publication Year
Total Pages417
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Siddhant Bhaskar, & India
File Size10 MB
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