SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 378
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रीपूज्यपाद-कृत वैद्य-सार (अनुवादक—पण्डित सत्यन्धर जैन, आयुर्वेदाचार्य, काव्यतीर्थ) (गतांक से आगे) टोका-शुद्ध सिंगरफ, १ तोला, शुद्ध जमालगोटा ६ माशा, शुद्ध सिंगिया ३ माशा, सोंठ, मिर्च, पीपल तीन तीन माशा, बड़ी हर का छिलका ३ माशा अरण्ड की जड़ की छाल ३ माशा, पूतकरंज को मांगी ३ माशा, नीला सुरमा तथा शुद्ध मेनशिल, शुद्ध पारा, तूतिया भस्म, पीपल, कौड़ी भस्म, शंख भस्म, शुद्ध धतूरे के बीज, नीम की निबोडो की गिरी. हलदी, दामहलदी ये सब तीन तीन माशा लेकर सब औषधियों को बकरी के दूध में एक दिन भर खरल में मर्दन करे तथा चना के बराबर गोली बनावे, इस गोली को गुड़ और काली मिर्च के साथ सेवन करे और ऊपर से उष्ण जल का पान करे तो इससे ग्रामदोष का रेचन होता है, पांचों प्रकार के गुल्म रोग दूर होते हैं, शूल को नाश करता, वायु का शोधन करता तथा शीत ज्वर का नाश करनेवाला है। यह पूज्यपाद स्वामी का बनाया हुआ उत्तम योग है। ३३–प्रमेहे प्रमेहगजकेसरी रसः सूतं च वंगभस्मानि नाकुलोबोजमभ्रक्रम् । अयस्कांतं शिलाधातु कनकस्य च बीजकम् ॥१॥ . गुडूची सत्वमित्येषां त्रिफलाक्वाथमर्दिताम् । गुंजामानवीं कृत्वा छायाशुष्कां तु कारयेत् ॥२॥ शर्करामधुसंयुक्तो प्रमेहोन् हति विशति । नटेन्द्रियं च दाहं च मन्दाग्निंमद्यदोषकं ॥३॥ सोमरोगं मूत्रकृच्छ्र वस्तिशूलं विनश्यति। पूज्यपादप्रयोगोऽयं प्रमेहगजकेसरी ॥४॥ टीका-शुद्ध पारा, बंगभस्म, शुद्ध रासना के बीज, अभ्रक भस्म, कांत लौहभस्म, शुद्ध शिलाजीत, शुद्ध धतूरे के बीज, गुरुव का सत्व इन सब औषधियों को त्रिफला के
SR No.529551
Book TitleJain Siddhant Bhaskar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Siddhant Bhavan
PublisherJain Siddhant Bhavan
Publication Year
Total Pages417
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Siddhant Bhaskar, & India
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy