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________________ किरण १] श्रीऋषभदेव भगवान की जीवनी के साधन.......१४१ विषय श्रावश्यक (पूर्व भाग) आवश्यक सूत्र पूर्व भाग श्रीभद्रबाहु स्वामी की नियुक्ति श्रीमलयगिरि आचार्य के विवरण: युक्त श्रोआगमोदय-समिति सूरत से ई० सन् १६२८ में प्रकाशित हुई है। इसकी गाथाओं में कुलकर, नाभिराजा, भगवान् ऋषभदेव, भरतादि के साथ सम्बन्ध रखने वाली बहुत सी वार्ता आती है। इसी आवृत्ति के अनुसार स्थान पृष्ठादि निम्नरीस्या हैं: गाथा संख्या । पृष्ठ संख्या १४६ से १६६ तक पृष्ठ १५३ से १५७ तक कुलकरों का अधिकार विस्तार से । गाथा १६७ से १८६ .,,, १५७ ,, ११३ , श्रीऋषभ देव भगवान् के पूर्व भव, सम्यक्त्व-प्राप्ति के उपाय, जन्माभिषेक और इक्ष्वाकु-कुल की उत्पत्ति इत्यादि का विस्तार से वर्णन । १८८, २९६, १६३, २२१, भगवान् की बाल्यावस्था, युवावस्था, विवाह, राज्य व्यवस्था, समाजव्यवस्था, शिल्प, कर्म, कला, शिक्षा और साधु-साध्वी आदि की संख्या।। , २६६ ,, ३४६ ,, , २१४ ,, २३२, भरत वाहुबलि प्रभृति पुत्रों को राज्य-भाग देना, दान, दीक्षा, तापस-प्रथा का प्रारंभ, नमि और विनमि की सेवा, एक वर्ष तक निर्जलाहार, तप, श्रीयांस के हाथ से पारणा, केवलज्ञान, भरत को चक्र की प्राप्ति होना तथा भगवान् की केवलोत्पत्ति, भरत-वाहुबलि का युद्ध, वाहुबलि को केवलज्ञानादि । , ३५० ,४३६ ,, , २३ मरीचि के त्रिदण्डि वेष-आचार का वर्णन, सांख्य-मत को उसके कपिलशिष्य से उत्पत्ति, ब्राह्मण शब्द की उत्पत्ति, प्राचीन वेदों की उत्पत्ति, भगवान का निर्वाणो. स्सवादि, भरत राजा को आदर्श गृह में केवलज्ञानादि । २४७ स्थानाङ्ग (दूसरा भाग) यह तीसरा अङ्ग है। इसके उपर श्रीअभयदेव सूरि की टीका आगमोदय-समिति सूरत से ई. सन् १९२० में प्रकाशित हुई है। इसमें कहीं कहीं कुलकर, श्रीऋषभदेवादि के विषय में कुछ कुछ उल्लेख मिलता है। - सूत संख्या | पृष्ठ संख्या विषय सुस ११५ से५६७तक पृष्ठ ४६६ विमल वाहन का शरीर प्रमाण, श्रीऋषभदेव का तीर्थ । प्रवर्तन समयादि । ..... ...... ... .... ................ प्रवतन |
SR No.529551
Book TitleJain Siddhant Bhaskar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Siddhant Bhavan
PublisherJain Siddhant Bhavan
Publication Year
Total Pages417
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Siddhant Bhaskar, & India
File Size10 MB
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