SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 335
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रीऋषभदेव भगवान की जीवनी के साधन (ले०–श्रीयुत मुनि हिमांशुविजय, न्याय-काव्य-तीर्थ) अधुनिक शैली पर तीर्थंकरों के चरित्र लिखने को आवश्यकता है-सो भी प्रथम तीर्थकर की अत्यधिक। यहां पर श्वेताम्बर जैन साहित्य में ऋषभदेव-संबंधी उल्लेखों को उपस्थित किया जाता है। श्वेताम्बर जैन ग्रन्थ श्वेताम्बर ग्रन्थों को मैं दो भाग में विभक्त करता हूँ; एक तो भगवद्भाषित और गणधर-रचित आगम-ग्रन्थ और दूसरा आगम से भिन्न ग्रन्थ जो भिन्न भिन्न आदर्श आचार्यों से लोकहित के लिये लिखा गया है। श्रागम-ग्रन्थ मूल आगमों में किसी तीर्थंकर का चरित ( जीवनी ) एक ही साथ में एक ही जगह पर प्रायः नहीं पाता है। कहीं किसी तीर्थंकर की कुछ बात तो कहीं अन्य तीर्थंकर की बात, और कहीं सब तीर्थंकरों की दीक्षा-सम्बन्धी, आयुष्य-सम्बन्धी, माता-पिता-सम्बन्धी बात, ऐसे भिन्न भिन्न द्वारों में (प्रकरणों में ) विकलित (त्रुटित ) रीत्या तीर्थंकरों के चरित्र आते हैं; इसी लिये जब तक सभी आगमों का पूरा परिशीलन न किया जाय तब तक पूरा पता नहीं चल सकता है। समवायांग ४५ आगमों में समवायाङ चौथा अंग ( आगम ) है। इसके ऊपर श्रीअभयदेव सूरि का विवरण है। यह श्रीआगमोदय-समिति सूरत से इस्वी सन् १९१८ में प्रकाशित हुआ है। इस आवृत्ति के अनुसार श्रीऋषभदेव और भरतादि के सम्बन्ध की बातें निम्न सूत्र और पृष्ठों में आतो हैं। सूत्र संख्या | पृष्ठ संख्या 8 से ८७ तक। 28 श्रीनागमोदयसमिति और देवचन्द लाल भाई पुस्तकोद्धार फंड के आगमों के पृष्ठों में एक हो तरफ पृष्ठ संख्या छपी है, इसलिये हमने भी दोनों तरफ की एकही पृष्ठ संख्या लिखी है। १०४से१०५ तक सूत १५० और १५८ की प्राकृत गाथा पहली से ३३ गाथा तक ।
SR No.529551
Book TitleJain Siddhant Bhaskar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Siddhant Bhavan
PublisherJain Siddhant Bhavan
Publication Year
Total Pages417
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Siddhant Bhaskar, & India
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy