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________________ विजयनगर-साम्राज्य और जैन-धर्म (ले०-श्रीयुत पं० के० भुजबली शास्त्री) . जब सन् १३२७ में मुहम्मद तुग़लक ने 'होय्सल' राज्य को समूल नष्ट कर उसे अपने साम्राज्य में मिला लिया तब दक्षिण भारतीय भिन्न भिन्न राज्य सजग होकर दो वीर योद्धाओं के नेतृत्व में संगठित हुर। इस संगठन का परिणाम यह हुआ कि इन शूरवीरों ने कुछ ही समय के बाद एक नवीन राज्य की नीव डाली। इस नवीन राज्य की राजधानी विजयनगर ही बनी। उल्लिखित वोरों के नाम क्रमशः हरिहर और बुक्क थे। ये दोनों सहोदर भाई थे। इन भाइयों ने दक्षिण भारत में बड़े वेग से बढ़ती हुई यवनशक्ति को बडी वीरता से रोका। इसी समय वहाँ यवनों ने बहमनी राज्य को स्थापित कर गुल्बर्गा को इसकी राजधानी बनाया। उस समय दक्षिण में यही दा राज्य प्रधान थे और सदेव इनमें एक दूसरे के प्रति पारस्परिक संघर्ष चलता था। लगभग सन् १४८१ में बहमनी राज्य बरार, गोलकुण्ड, बीजापुर आदि भिन्न भिन्न प्रदेशों में पांच भागों में विभक्त हुआ। विजय नगर का कलह बीजापुर के आदिल शाहों के ही साथ चलता रहा। पूर्वोक्त पाँचों महम्मदीय राज्यों में पारस्परिक द्वष एवं नोक-झोंक चलते रहने के कारण प्रायः विजयनगर को ही विजयी बनने की सुविधा मिल जाती थी। अन्त में मुसलमानों ने अपनी इस भूल को समझ लिया। फलतः इन लोगों ने संगठित होकर सन् १५६५ में तालिकोट के मैदान में लड़कर दक्षिण भारत से सदा के लिये हिन्दसाम्राज्य की जड़ ही उखाड़ डाली। इस युद्ध में यवनों ने विजयनगर के तत्कालीन शासक रामराय को मारकर उनकी सुन्दर राजधानी विजयनगर को तहस-नहस कर डाला। लोक विश्रुत, हिन्दुओं की भूतपूर्व राजधानी विजयनगर का ध्वंसावशेष देखकर आज भी सहृदयों की आँखों से प्रवाहित अश्रुधारा रोके नहीं रुकती। यह हुआ विजयनगर साम्राज्य का संक्षिप्त इतिहास। अब मैं अपने पाठकों का ध्यान प्रकृत विषय की ओर आकृष्ट करता हूँ। विजयनगर राजवंश में वीर बुक्कराय को जैन धर्म कमी नहीं भूल सकता। क्योंकि इन्होंने अपने शासनकाल में एक अमूल्य उपकार के द्वारा जैनधर्म को एक प्रकार से चिरणी बना दिया है। इस बुक्कराय (प्रथम) ने उन दिनों जैन और वैष्णव सम्प्रदाय में धधकती हुई विद्वेषाग्नि को बुझा कर शान्ति स्थापनाद्वारा अपनी अमिट धार्मिक मैत्री दुनिया को दिखा दी थी। यह शासक सर्वधर्म
SR No.529551
Book TitleJain Siddhant Bhaskar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Siddhant Bhavan
PublisherJain Siddhant Bhavan
Publication Year
Total Pages417
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Jain Siddhant Bhaskar, & India
File Size10 MB
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