________________
जैन-सिद्धान्त-भवन, आरा
की संक्षिप्त रिपोर्ट (वीर सं० २४६०-६१) १-चीर सं० २४६० ज्येष्ठ सुदी ५ से वी० सं० २४६१ ज्येष्ठ सुदी ४ तक ३६०५ महाशयों ने भवन से लाभ उठाया है। विशिष्ट दर्शकों में से श्री धनंजय प्रसाद राय बी० ए०, सहदेव सहाय सिन्हा, बी० ए०, बी० एल० (डालटेनगंज), चन्द्रकुमार शास्त्री, न्यायकाव्यतीर्थ, एम. ए०, एल. एल. बी० (मुजपफरनगर), प्रो० डब्ल्यू. नौरमैन ब्राउन (पेन्सिलभेनिया युनिवसिटी, अमेरिका), एम० आर० खार्डेकर बी० ए०, असिस्टेन्ट एडिटर बाम्बे क्रानिकल (बम्बई), गौरीलाल शास्त्री (देहली), रामशरण उपाध्याय (हेडमास्टर ट्रेनिङ्ग स्कूल, पटना)
आदि महाशयों ने अपनी अमूल्य सम्मति प्रदान कर भवन का प्रबन्ध, ग्रन्थ-संग्रह आदि को प्रशंसा की है। - २-इस वर्ष भवन में विविध भाषाओं की मुद्रित पुस्तके (संस्कृत, प्राकृत, हिन्दी आदि) ६४, अंग्रेजी की ४००; कुल ४६४ संगृहीत हुई हैं। . इस साल के पुस्तक दातारों में नागरी-प्रचारिणी सभा आरा, राजकीय पुस्तकालय मैसूर, श्रीमान् चम्पतराय जी आदि के नाम विशेष उल्लेखनीय हैं।
३-इस वर्ष संस्कृत तथा प्राकृत भाषा के निम्नलिखित ग्रन्थ लिखवा कर संगृहीत किये गये:-(१) व्रततिथि निर्णय (सिंहनन्दी), (२) नेमिपुराण (ब्र० नेमिदत्त), (३) आत्मानुशासनम् (संग्रह), (४) आत्मतत्व-परीक्षण (राजा देवराज), (५) प्रमाण-प्रमेयकलिका (नरेन्द्र सेन), (६) जम्बूस्वामी चरित्र (राजमल्ल), (७) सुखबोध (योगदेव), (८) मुनिवंशाभ्युदय (चिदानन्द), (६) जैनेन्द्र पुराण का अवशिष्ट भाग । इस कार्य में राजकीय पुस्तकालय मैसूर, वाबू पन्नालाल अग्रवाल देहली से विशेष सहायता मिली है, अतः ये धन्यवाद के पात्र हैं।
४-इस वर्ष ३८० प्रन्थ भवन से बाहर दिये गये। इनसे स्थानीय महाशयों के अतिरिक्त उदयपुर, अजमेर, मैसूर, मद्रास, उज्जैन, पटना, कलकत्ता, बम्बई आदि भिन्न भिन्न स्थानों की संस्थाओं और विद्वानों ने भी लाभ उठाया है।
-इस साल सरस्वती-भवन बम्बई तथा रायचन्द्र आश्रम, अगास के लिये यहां से 'जयधवल' लिखवाया जा रहा है।
६- इस वर्ष प्रकाशन-विभाग में काई पृथक् ग्रन्थ प्रकाशित नहीं हुआ। प्रस्तुत 'भास्कर' में ही तीन ग्रन्थ धारावाहिक रूप से निकल रहे हैं जो आप पाठकों के सामने मौजूद हैं ।
७-इस वर्ष विशाल भारत, नागरी प्रचारिणी पत्रिका, सरस्वती, जैनमित्र, जैनगजट, (हिन्दी) वीर, जैनदर्शन, खण्डेलवाल जैन हितेच्छु, जैन महिलादर्श, दिगम्बरजैन, जैनबोधक, Jain Gazette, Indian Culture, Indian Historical quarterly, Journal of B. & 0. Reserch Society, Indian Library Journal, सूर्योदय, (संस्कृत), उद्यानपत्रिका (संस्कृत), कर्नाटक-साहित्य-परिषत्-पत्रिका (कन्नड), प्रबुद्धकर्णाटक (कन्नड) आदि पत्र भवन में आये हैं। इनमें से अधिकांश पत्र भेंटरूप में ही प्राप्त हुए हैं। अतः उसके संचालक एवं सम्पादक विशेष धन्यवाद के पात्र हैं।
मंत्री-जैन-सिद्धान्त-भवन, पारा