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किरण २]
संस्कृत में दूतकाव्य साहित्य का निकास और विकास
(२) उद्धवदूतम्-माधव शर्मा की रचना है। १४१ श्लोक हैं। इसमें कृष्ण की ओर से गये हुये दूत उद्धव का वर्णन है कि कैसे उनने गोपियों को कृष्णजी का संदेशा देकर शान्त किया था, जो हिन्दुओं के भागवतपुराण (१०।४७) के अनुसार है।
(३) उद्धवसन्देश-रूपगोस्वामिन की कृति बतलाया जाता है। इसमें भी १३८ श्लोकों में उद्धव जी द्वारा कृष्ण जी का संदेश मथुरा पहुंचाने का वर्णन है। कवि का अन्य ग्रंथ हंसदतम् भी
. (४) कीरदूतम्'-के कर्ता रामगोपाल को महामहोपाध्याय हरप्रसाद शास्त्री जी नवद्वीप (बंगाल) के राजा कृष्णचन्द्र के दरबार का कवि अनुमान करते हैं। इसमें मथुरा की गोपियों ने एक तोते को दूत बना कर कृष्ण जी के पास अपना संदेश लेकर भेजा है। १०४ काव्य हैं ।
(५) कोकिल-संदेश-उत्तर अर्काट के निवासी रंगनाथ के पुत्र उद्दण्ड कवि की रचना है जो पन्द्रहवीं शताब्दि के प्रारम्भ में हुये हैं। कहा जाता है कि भृङ्गसंदेश के उत्तर में यह काव्य लिखा गया था, जिसे उसके कर्ता वासुदेव ने उद्दण्ड कवि के प्रति भेजा था। उसमें काञ्ची के एक प्रेमी के द्वारा कोयल को अपना दूत बना कर केरल में स्थित अपनी प्रमिका के पास भेजने का वर्णन है। • (६) कोकिल-संदेश-नृसिंहरचित । (अडयार लायब्रेरी लिस्ट, मद्रास पृष्ठ १२८)।
(७) कोकिल-संदेश- तात्य के पुत्र वेङ्कटाचार्य-द्वारा संकलित। (बर्नेल-संस्कृत ग्रंथ इन्डेक्स, पैलेस लायब्ररी, तन्जोर पृष्ठ १५७) ।
(८) चकोर-संदेश-'उपर्युक्त पुस्तक पृष्ठ १५८) ।
(E) चन्द्रदूत - कृष्णचंद्र तर्कालङ्कार की कृति है जो गोपीनाथ भट्टाचार्य के पुत्र ये। इसमें लङ्का से हनुमान जी के लौट आने पर रामचन्द्र जी के माल्यवत् पर्वत से चन्द्रमा को दूत बना कर अपना संदेशा सीताजी के पास लङ्का को भेजने का वर्णन (वैदिक रामायण के अनुसार) है।
(१०) चन्द्रदत- जम्बूकवि रचित । मालिनी छंद के २३ पद्यों में समाप्त है; जिसमें अन्त्ययमक' को प्रत्येक पद्य में चित्रित किया गया है।
(११) चन्द्रदूत-विनयप्रभ-द्वारा संकलित । (रिपोर्ट खोज संस्कृत ग्रंथ सन् १८८४-८५भाण्डारकर नं. ३५४)।
| Haeberlin's Sanskrit Anthology, pp. 384 ff. काव्यकलाप (बम्बई १८६४) पृ०५६... २। Ibid pp. 323-347 और काव्यसंग्रह (कलकता) ३।२१। ३ । संस्कृत साहित्य परिषत् कलकता के पास एक प्रति मौजूद है। ४। Notices of Sanskrit Mss. I. XXXIX. ५। मद्रास सरकारी लायब्ररी की सूची भाग १० नं० ११८३५ । ६। (इन्डियन हिस्टा० क्वार्टी भाग ३ पृ. २२३) । • Notices of Sanskrit Mss., Vol. II. p. 153. 5| A Third Report of operations in Search of Sanskrit Mss. Bombay
Circle, p. 292.