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________________ Ho COM Bur मामामामायpanaananammmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmm. "ॐ ह्रीं नमः मंगल संदेश न्यूयार्क जैन सेन्टर में जव निर्मित भव्य जैन मन्दिर पन्न मूर्ति प्रतिष्ठा का विशर गायोजन समाज के लिए सुखद उनुभूति से अश एक ऐतिहासिक अवसर है। नगर्य रामेरिका में यह पहला जैन सेन्टर है, जहां सनी जैन परंपराओं की पूजा-आराधना- साधना के लिए अलग- उलग सुनियोजित व सुव्यतास्येत स्याल हैं। यह अनेकता में एकता का बेजोड़ उदाहरण है। पांचों अंगाल या अलग से कर भी एकहोली से जुड़ी हुई है, तभी उनकी उपयोगिता है। विश्व के अन्य जैल संस्थानों के लिए न्यूयार्क जैन समाज जे एक अनुकरणीयमिशाल पेश की है। इसके लिए राजाज को बहुत सासुबाट । उस मंगल कार्य में डा. रजनीकान्त शाह का प्रशंसनीय योगदान रह , जिनके समर्पण ----नायक प्रयास से या महान कार्य सभप पर सुसंपन्न हुआ है। आवक के दैनिक कर्तव्यों ने प्रथा कपि जिजेन्द्र जाता हम तीतशग जिन भगवान के उपासक है। उपासना के लिए अनुकूल स्थान परम आवश्यक पवित्र पावन-परक मन्दिर इसकी पूर्ति करते है। जहां भक्तगण शुर नाव से भक्ति-आराधनासाधना कर वीतराग पथ पर आगे बढ़ते हैं। हजारों साल की रप असुरण परंपरा का जितहि आज भी समाज जागरुकता पूर्वक कर रहा है ऐऐ पुनीत कार्य में जो भी सहजागी-सहयोगी बनते है ये सब पुण्यशाली है। ------ समाज में ऐऐ मंगल कार्यों की भावना बढती रहेगऐ दिल्प मान्दर में भक्ति - उपासना कर उस आत्म मान्दर को भी दिव्य बनाएं। यही शुभकामना - आशावटि । ORS मुति मनक कुमार बसन्त पंचमीपूना (भारत) ARRIORROPERARY Didationcommendation:OTO:: :: . 29 BIRHAIRER FOridebmore DDLE
SR No.528692
Book TitleJain Center of America NY 2005 06 Pratishtha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Center of America NY
PublisherUSA Jain Center America NY
Publication Year2005
Total Pages190
LanguageEnglish
ClassificationMagazine, USA_Souvenir Jain Center NY New York, & USA
File Size14 MB
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