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________________ लिए। बिना सब्सटेन्स के क्वालिटी होती ही नहीं और क्वालिटीज़ के बिना सब्सटेन्स होता ही नहीं, यह अब तक की अवधारणा थी। ये क्वालिटीज थीं-भार, रंग, रूप, गन्ध आदि। कहां है भार पदार्थ में ? भौतिकशास्त्र जिसे भार कहता था वह गुरुत्वाकर्षण-शक्ति का परिणाम है-यह सिद्ध हो गया। पृथ्वी पर जिस चीज़ का भार चार किलोग्राम है, वह चन्द्रमा पर एक किलोग्राम ही रहती है। क्योंकि वहां का गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी से चार गुना कम हैं। शून्य आकाश में, जहां गुरुत्वाकर्षण नहीं है, भारहीनता है। अन्तरिक्ष यात्रियों को इसके प्रत्यक्ष अनभव हुए हैं। इसके शारीरिक-मानसिक प्रभावों के लिए उन्हें विशेष साधनों का उपयोग करना पड़ता है, विशेष तैयारी करनी पड़ती है। भार पदार्थ का गुण एकदम नहीं है। अपने आपमें किसी पदार्थ में कोई भार नहीं है। परस्पर आकर्षण का प्रभाव ही भार कहा जाता रहा है। वह भार एक पदार्थ-खण्ड का दूसरे पदार्थ-खण्ड पर प्रभाव है। यह प्रभाव भी पारस्परिक है। पृथ्वी आदमी को खींचती है तो पृथ्वी को आदमी भी खींचता है। यह दूसरी बात है कि पृथ्वी बड़ी है आकार में, उसकी गुरुत्वाकर्षण-शक्ति अधिक है परिमाण में। अतः आदमी उसे नहीं खींच पाता, वह आदमी को खींच लेती है, जैसे बड़ा चुम्बक छोटे चुम्बक को खींच लेता परमाणु तक आते-आते रंग, रूप समाप्त होने लगे। नाभिक में प्रवेश करने पर आकार भी विलुप्त होने लगा। अन्ततः जो पाया गया वह पारम्परिक परिभाषा में पदार्थ कहा ही नहीं जा सकता। पदार्थ का मूल वह है जो पदार्थ नहीं है। मात्र शून्य है वह-'अट्टर नथिंगनेस'। वह जो खाली है उसी से सब भरा हुआ है। वह जिसका कोई आकार नहीं, सारे आकारों में वही है। वह जिसे इन्द्रियां ग्राह्य नहीं कर सकतीं, वही है जिसे वे कर रहीं हैं। यह एक विरोधाभास-सा प्रतीत होता है लेकिन सत्य की भाषा लाओ-जे के शब्दों में विरोधाभास ही है-'पैराडॉक्स इज द लेंग्वेज ऑफ टुथ'। पुद्गल यानी गलन-मिलन स्वभाव महावीर पुद्गल की परिभाषा करते हैं-वह जो गलता-ढहता है, आकार सुना है मैंने आयुष्मन Jainism: The Global Impact 153
SR No.527536
Book TitleJAINA Convention 2013 07 Detroit MI
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFederation of JAINA
PublisherUSA Federation of JAINA
Publication Year2013
Total Pages268
LanguageEnglish
ClassificationMagazine, USA_Convention JAINA, & USA
File Size24 MB
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