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दुख का कर्ता स्वयं की आत्मा को बताता है इसमें किसी पर दोष थोपने वाली बात नहीं है ।
इस तरह जैन धर्म के जो सिद्धांत है वह सिद्धांत आज के संदर्भ में बहुत उपयोगी है। मैं यू कहूं तो तनिक भी अतिशयोक्ति नहीं होगी कि जैन धर्म की संसार को बहुत बड़ी देन है। डा. गंगानाथ झा MA डिलिट ने लिखा है कि मैं अब तक जैन धर्म .. को जितना जान सका हूँ कि मेरा दृढ विश्वास हो गया है कि विरोधी सज्जन यदि जैन साहित्य का मनन कर लेंगे तो विरोध करना छोड़ देंगे। डॉ. ए. गिरनों के कथनानुसार जैन धर्म में मनुष्य की उन्नित के लिए सदाचार को अधिक महत्व प्रदान किया गया। जैन धर्म अधिक मौलिक स्वतंत्र तथा सुव्यवस्थित है। इस संदर्भ में जार्ज बरनार्ड शा का कथन अत्यन्त महत्वपूर्ण है। उन्होने लिखा मेरी एक ही भावना है कि मरकर किसी जैन वंश में जन्म लू | श्री मैथ्यू मैक्के लंदन का कथन भी विशेष रूप से ध्यान देने योग्य है । मेरे जीवन का एकमात्र उददेश्य एक सफल जैन प्रचारक बनने का है। मुझे विश्वास है। कि जैन धर्म के प्रचार से लोक का सच्चा कल्याण होगा।
जैन धर्म के सम्बंध में और भी बहुत कुछ लिखा कहा जा सकता है किन्तु प्रस्तुत • आलेख की एक सीमा है। मैं अन्तरमन से प्रकाशन की सफलता के लिए कामना करते हुए कहना चाहता हूँ कि जैन धर्म के सिद्धांत किसी सम्प्रदाय विशेष के सिद्धांत नहीं है इन सिद्धांतो को जागरूकता पूर्वक यदि जीवन व्यवहार में स्थान दिया गया तो विश्व शांति और कल्याण सुनिश्चित है।
Mini Amrander Kumar
Jainism: The Global Impact 123