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अनेकान्त 69/3, जुलाई-सितम्बर, 2016
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चिकित्सा में प्रयुक्त होने वाली औषधियों को वृहद् स्तर पर विहार में उगाना दूरदर्शिता का सूचक है। इसी प्रकार से अन्य शिलालेख के स्थापन में भी विशाल चिन्तन निहित है जिसके अन्वेषण की तत्कालीन सामाजिक, राजनैतिक परिस्थितियों के आधार पर अध्ययन तथा विश्लेषण की आवश्यकता है।
संदर्भ :
1. गि. शि. शिलालेख सं. पष्ठ, पंक्ति 345
2. गि. शि. शिलालेख सं. षष्ठ पंक्ति 9
'
3. गि. शि. शिलालेख सं. पष्ठ, पंक्ति 12,
4. इध न किं चि जीवं आरभित्पा प्रजहितव्यं । प्रथम अभिलेख (गिरनार शिला), पंक्ति 2,3 5. अस्ति पि तु एक चा समाजा साधुमता देवानं प्रियस प्रियद सिनो राजो
6. गि. शि., शिलालेख सं. 2, पंक्ति 5
अतिथि प्राध्यापक, जैनदर्शन विभाग,
राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, जयपुर-302018 ( राजस्थान)
कविवर भूधरदास
जरा मौत की लघु बहन यामें संशय नाहिं |
तौ भी सुहित न चिन्तवै बड़ी भूल जगमांहि ||
॥
इसमें कोई सन्देह नहीं कि जरा (बुढापा) मृत्यु की लघु बहिन है। फिरभी वह जीव अपने हित की चिन्ता नहीं करता, यह इस आत्मा की बड़ी भूल है।