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________________ अनेकान्त 6/3, जुलाई-सितम्बर, 2016 इतिहास देखें तो इसी प्रकार की घटना भगवान् बुद्ध के जीवन में भरी घटना भगवान बुद्ध के जीवन में भी घटित हुई जब वृद्ध, रोगी तथा मृतक को देखकर मन में संसार के रहस्य को जानने की उत्कण्ठा जागृत हुई और उनके वे कदम अनायास ही अध्यात्मोन्मुख हो गये। ऐसी ही स्थिति महाभारत के युद्धोपरान्त पाण्डवों की हुई जब स्वजनों के सामूहिक जनसंहार को देखकर पाण्डवों के हृदय में आत्मग्लानि हुई जिसके फलस्वरूप उन्होंने तीर्थाटन किया और राजकाज में अरुचि हुई। उपर्युक्त ऐतिहासिक तथा प्रागैतिहासिक उपक्रम को देखें तो एक धारा हिंसा से अहिंसा की ओर आती हुई प्रतीत होती है। इस अहिंसा, वैराग्य तथा अरुचि के फलस्वरूप जिन चिन्तन तथा मनन योग्य तत्त्वों का उद्भव होता है वह तद्-तद् सम्बन्धी दर्शन का द्योतक हो गया अर्थात् अहिंसा के सम्बन्ध में जागृत हुई इच्छा अहिंसा-दर्शन है, वैराग्य की जिज्ञासा वैराग्य दर्शन है, करुणा का पालन करुणा दर्शन है। इसी प्रकार दिग्विजय के पश्चात् उत्पन्न हुई आत्मग्लानि एवं आत्मनिन्दा से सम्राट् अशोक के जीवन में जो परिवर्तन हुआ उसका दिग्दर्शन अशोक द्वारा प्रस्थापित चौदह, शिलालेखों में होता है। इन शिलालेखों के नामकरण इनके विषय को ध्यान में रखकर किये गये हैं जिनमें पहला जीवदया: पशुयाग तथा मांस-भक्षण निषेध है, दूसरा लोकोपकारी कार्य, तीसरा धर्मप्रचार, चौथा धर्मघोष धार्मिक प्रदर्शन, पंचम धर्म महामात्र, षष्ठ प्रातवेदना, सप्तम धार्मिक समता, संयम, भावशुद्धि, अष्टम धर्मयात्रा, नवम धर्म-मंगल, दशम धर्म-शुश्रूषा, एकादश धर्म दान, द्वादश सार-वृद्धि, त्रयोदश वास्तविक विजय, चतुर्दश उपसंहार। इसके साथ चिकित्सा के उपयोग में आने वाली औषधियों का भी विस्तृत क्षेत्र में रोपण करवाना कुशल तथा करुणानिधि शासक का सूचक है। वस्तुतः करुणा का ज्ञान ही करुणा का प्रत्यारोपण में हेतु है। विशेष यह है करुणा का उल्लेख समस्त भारतीय दर्शनों में है। मुनि दधीचि ने करुणा के वशीभूत होकर ही अपनी हड्डियों का दान देवताओं के लिए किया था। बौद्ध-साहित्य का आलोडन करें तो अंगुलिमाल का जगत् प्रसिद्ध कथानक सर्वविदित ही है; जैनदर्शन की चर्चा करें तो आचारांग में उपलब्ध प्रसंग में भगवान महावीर
SR No.527331
Book TitleAnekant 2016 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir
Publication Year2016
Total Pages96
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size230 KB
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