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________________ अनेकान्त 69/3, जुलाई-सितम्बर, 2016 तुम जिनवर गुण गावो तुम जिनवर गुण गावो, यह औसर फिर न पावो। मानव भव जन्म दुहेला, दुर्लभ सत्संगति मेला। यह बात भली बनि आई, भगवान भजो मेरे भाई। पहिले चित चोर सम्हालो. कामादिक कीच उलारो। फिर पलि फिटकड़ी दीजे, तुम सुमरन रंग रंगीजे। धन जोड़ भरा जो कुणा, परिवार बढ़े क्या दूजा। हरसी चढ क्या कर लीना ? प्रभु भजन बिना धृत जीना। यह शिक्षा है व्यवहारी, निश्चय की साधन हारी। 'भूधर' पैड़ी पग धरिये, तब चढने की सुधि करिये। - पं. भूधरदास जी
SR No.527331
Book TitleAnekant 2016 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir
Publication Year2016
Total Pages96
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size230 KB
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