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________________ अनेकान्त 6/3, जुलाई-सितम्बर, 2016 है, परन्तु नरकादि दुर्गति के द्वारभूत स्त्रियों के जघनस्थान का कुतूहल पूर्वक भी आलिंगन करना अच्छा नहीं है। जिस स्त्री को प्राप्त करके तुझे नरक की वेदना सहनी पड़ेगी। उसकी जब बात करना भी प्रशंसनीय नहीं है, निन्दनीय है। तब भला उसका आलिंगन आदि तो प्रशंसनीय हो ही कैसे सकता है? यह स्त्री वज्राग्नि की रेखा के समान अथवा सर्प की विषैली दाढ़ के समान मनुष्यों को केवल सन्ताप और भय को ही दिया करती है। आलिंगन की गई अग्नि की ज्वाला मनुष्यों के हृदय में वैसे दाह को नहीं देती है। जैसे दाह को यह इन्द्रिय विषयों को कुपित करने वाली स्त्री दिया करती है। ऐसे पापकारक स्थानों का स्पर्श, मन में चिन्तन तथा वचनों से अपलाप करना भी पाप का कारण है। ___इसी प्रकार स्त्रियों के स्तन को घृणित तथा अधम गति में ले जाने वाला कहा है -स्त्री के जो दोनों उन्नत स्तन नीचे की ओर झुके रहते हैं, वे मानो यही प्रकट करते हैं कि-स्त्री के शरीर के साथ संयोग को प्राप्त होकर उन्नत पुरुष भी नीचे गिरेगें, अधोगति को प्राप्त होगें। जैसे कि उसके शरीर से संयुक्त होकर हम दोनों (स्तन) भी नीचे गिर गए।' स्त्रियों का संस्कार अंजन अर्थात् काजल भी है, जो वश में करने के लिए लगाया जाता है तथा अंजन से स्त्रियों के नेत्र कटाक्ष पूर्ण तथा स्त्रियों के चंचल भावों को प्रदर्शित करने में अक्षम होते हैं अर्थात् उनके चंचल मनो भावों को दबाकर स्त्रियों के कामुक भावों को प्रदर्शित करते हैं। स्त्रियों के अधरोष्ठ काम उत्पत्ति में एक निमित्त है, वह संकेत देता है कि -जिस प्रकार अधरोष्ठ अपरोष्ठ से सदैव प्रताड़ित होता है। उसी प्रकार स्त्री में आसक्त पुरुष सदैव स्त्रियों से प्रताड़ित होता है। आचार्य शिवार्य ने स्त्रियों के द्वारा पुरुषों का अनादर करने के विषय में कहा है कि जह जह मण्णेइ णरो तह तह परिभवइ तं णरं महिला। जह जह कामेइ णरो तह तह परिसं विमाणेइ॥ जैसे-जैसे पुरुष स्त्री का आदर करता है, वैसे-वैसे स्त्री उसका निरादर करती है। जैसे-जैसे मनुष्य उसकी कामना करता है, वैसे-वैसे वह पुरुष की अवज्ञा करती है।
SR No.527331
Book TitleAnekant 2016 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaikumar Jain
PublisherVeer Seva Mandir
Publication Year2016
Total Pages96
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size230 KB
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