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अनेकान्त 69/3, जुलाई-सितम्बर, 2016 यकार जकार में भी परिवर्तित हो जाता है तथा षकार हकार होता है। उसी प्रकार भकार वकार के रूप में परिवर्तित होता है।
इस प्रकार देखा जाय तो परिवर्तित ऋषभ शब्द का जहव रूप यहूदी में प्रचलित था। जहोव-यहोव नाम इसरेलियों का धर्मनेता का नाम माना गया है, जिनका धर्म ही यहूदी धर्म है। इसका मूलधर्म ऋषभ का धर्म
था।
क्रैस्त धर्म में प्राकृत भाषा के व्याकरण के नियमानुसार ऋ का य तथा ष एवं श का स और भ का फ होता है।
ऋ - य ष - स
भ - फ इस प्रकार ऋषभ शब्द यसफ के रूप में परिवर्तित है। यकार का जकार होने से जसफ भी होता है। यही जसफ आज जोसफ-Joseph के रूप में प्रचलित हुआ है। ऋषभ-यसफ, जसफ-जोसेफ।
अरब परिसर में प्रचलित बोलियाँ प्राकत भाषा से अधिकतम सम्बन्ध रखती हैं। जैसे प्राकृत भाषा के व्याकरण के नियमानुसार ऋषभ शब्द में से ऋ का इ हो होता है। षकार का सकार होता है, भकार का फकार होता है। इस प्रकार इसफ बना है। इसफ में फ का भ भी होने से इसभ हुआ। यासुभु एवं यासुफु अथवा यासुभ् एवं यासुफ भी बना। यूसुफ्, सूसुभ्- इस पकार के परिवर्तनों में कोई निर्दिष्ट नियम नहीं है।
कैस्त और किसी अन्य-अन्य प्रदेशों में प्राचीनकाल में यहाँ के सब विशाल देशों में एक जैनधर्म ही अस्तित्व में था। ऊस्त, इस्लाम और यहूदियों में जोसेफ्, जहोव, यहोभ, इहोव, युसुफ, यूसुभ् भी परिवर्तित रूप पाये जाते हैं। इन तीनों नामों से तीन धर्म कालान्तर में स्थापित हुए, जो कि इन तीनों धर्मों का मूल पुरुष एक ही था; वह है ऋषभ। यह ऋषभ इस युग के जैनधर्म का प्रथम प्रवर्तक है। इसी प्रकार पश्चिम एशियाई राष्ट्रों में अर्हन्, अरह, अरहत् शब्दों का प्रचुरमात्रा में प्रयोग दिखाई देता है। उदाहरणार्थअरह शब्द अरफ और अरब रूपों में परिवर्तित हुआ। प्यालेस्तिन् राज्य विमोचना सेना का प्रधान अधिकारी का नाम यस्सार अराफत् था। इसमें