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________________ [ भाद्रपद, वीर निर्वाण सं० २४६६ वैय्याकरण के अधिपति थे, गुणों की खानि थे, तार्किकचक्रवर्ती थे, और प्रवादिरूपी गजों के लिये सिंहसमान थे । श्रीवीरनेन इत्यात्त भट्टारक पृथुप्रयः । स नः पुनातु पूतात्मा वादिवृन्दारको मुनिः ॥ लोकवित्वं कवित्वं च स्थितं भट्टारके द्वयं । वाग्मिता वाग्मिनो यस्य वाचा वाचस्पतेरपि ॥ सिद्धान्तोपनिबन्धानां विधातुर्मद्गुरोश्चिरम् । मन्मनः सरसि स्थेयान्मृदुपादकुशेशयम् ॥ धवलां भारतीं तस्य कीर्ति च शुचि-निर्मलाम् । धवलीकृतनिःशेषभुवनां तां नमाम्यहम् ॥ - श्रादिपुराणे, श्रीजिनसेनाचार्यः जो भट्टारककी बहुत बड़ी ख्यातिको प्राप्त थे वे वादिशिरोमणि और पवित्रात्मा श्रीवीरसेन मुनि हमें पवित्र करो - हमारे हृदय में निवास कर पापोंसे हमारी रक्षा करो । जिनकी वाणीले वाग्मी बृहस्पतिकी वाणी भी पराजित होती थी उन भट्टारक वीरसेन में लौकिक विज्ञता और कविता दोनों गुण 1 सिद्धान्तागमों के उपनिबन्धों-धवलादि ग्रन्थों के विधाता श्री वीरसेन गुरुके कोमल चरण कमल मेरे हृदय सरोवर में चिरकाल तक स्थिर रहें । वीरसेनकी धवला भारती- धवला टीकांकित सरस्वती अथवा विशुद्ध वाणी - धौर चन्द्रमा के समान निर्मल कीर्तिकी, जिसने अपने प्रकाश से इस सारे संसारको धवलित कर दिया है, मैं वन्दना करता हूँ । तत्र वित्रासिता शेष प्रादि-मद-वारणः । वीर सेनाप्रणीवर सेन भट्टारको बभौ ॥ - उत्तरपुराणे, गुणभद्रः मूलसंघान्तर्गत सेनान्वय में वीरसेना के अग्रणी (नेता) वीरसेन भट्टारक हुए हैं, जिन्होंने सम्पूर्ण प्रवादिरूपी मस्त हाथियोंको परास्त किया था । ६२२ अनेकान्त तदन्ववाये विदुषां वरिष्ठः स्याद्वादनिष्ठः सकलागमज्ञः । श्री वीरसेनोऽजनि तार्किक श्रीः प्रध्वस्तरागादिसमस्तदोषः ॥ यस्य वाचां प्रसादेन ह्यमेयं भुवनत्रयम् ॥ आसीदष्टांगनैमित्तज्ञानरूपं विदां वरम् ॥ - विक्रान्तकौरवे, हस्तिमल्लः स्वामी समन्तभद्रके वंश में विद्वानों में श्रेष्ठ श्री वीरसेनाचार्य हुए हैं, जो कि स्याद्वाद पर अपना दृढ़ निश्चय एवं श्राधार रखने वाले थे, तार्किकोंकी शोभा थे और रागादि सम्पूर्ण दोषोंका विध्वंस करने वाले थे । तथा जिनके वचनोंके प्रसादसे यह श्रमित भुवनत्रय विद्वानोंके लिये अष्टाङ्ग निमित्तज्ञानका अच्छा विषय हो गया था।
SR No.527165
Book TitleAnekant 1940 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1940
Total Pages60
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size7 MB
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