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विषय-सूची
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१. वीरसेन स्मरण २. तत्त्वार्थाधिगमभाष्य और अकलंक- [प्रो. जगदीशचन्द्र ... ३. गो. कर्मकाण्डकी त्रुटिपूर्ति लेखपर विद्वानोंके विचार और विशेष सूचना-[सम्पादकीय . ४. सिद्धसेनके सामने सर्वार्थसिद्धि और राजवार्तिक-[पं० परमानन्द
५. गोम्मटसार कर्मकाण्डकी त्रुटि पूर्ति पर विचार-[प्रो० हीरालाल ६. जैन-दर्शनमें मुक्ति-साधना-[श्रीगरचन्द नाहटा : ... ७. श्राग्रह (कविता)-[ब० प्रेससागर ८. नृपतुंगका मत विचार-[श्री एम. गोविन्द पै १. शिक्षा (कविता)-[ब० प्रेमसागर १०. चैनधर्म-परिचय गीता जैसा हो-[श्री दौलतराम "मित्र" ... ११. आशा (कविता)-[श्रीरघुवीरशरण . १२. विद्यानन्द-कृत सत्यशासन परीक्षा-[श्री पं० महेन्द्रकुमार ... १३. प्रो० जगदीशचन्द्र और उनकी समीक्षा-[सम्पादकीय १४. पण्डित-प्रवर आशाधर-[श्री पं० नाथूराम प्रेमी
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निवेदन "अनेकान्त" की १२ वी किरण प्रकाशित होने पर कृपालु प्राहकोंका भेजा हुआ शुल्क पूरा हो जायगा । क्योंकि अनेकान्तके प्रत्येक ग्राहक प्रथम किरणसे ही बनाये जाते हैं। अतः १२ वी किरण प्रकाशित होनेके बाद "अनेकान्त" का दिल्लीसे प्रकाशन बन्द कर दिया जायेगा। अनेकान्तके घाटेका . भार ला० तनसुखरायजीने एक वर्षके लिये ही लिया था, किन्तु उन्होंने दूसरे वर्ष भी इसे निभाया। अब अन्य दानी महानुभावोंको इसके संचालनका भार लेना चाहिये।
१० वी किरणमें रा० ब० सेठ हीरालालजीका चित्र देखकर कितनी ही संस्थाओंने उनकी ओरसे भेट स्वरूप अनेकान्त भेजने के लिये लिखा है। किन्तु हमें खेद है कि हम उनके आदेशका पालन न कर सके । क्योंकि सेठजीकी ओरसे अनेकान्त जैनेतर संस्थाओं और जैन मन्दिरोंमें चित्र प्रकाशित होनेसे पूर्व ही भेटस्वरूप जाने लगा था।
-व्यवस्थापक