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________________ १. देवमन्दि-पूज्यपाद - स्मरण • हम और हमारा यह सारा संसार - [बा० सूरजभान वकील ३. क्या खियाँ संसारकी क्षुद्र रचनाओं में से हैं ? - (श्रीललिता कुमारी जैन विदुषी, प्रभाकर ४. दीपक के प्रति [ श्रीरामकुमार 'स्नातक' ५. आत्मोद्धार- विचार - [ श्री अमृतलाल चंचल ६. सफेद पत्थर अथवा लाल हृदय - [ दीपक से नृपतुंग का मतविचार - [ श्री एम. गोविन्द पैं ८. नवयुवकको स्वामी विवेकानन्द के उपदेश -- [ अनु० डा० बी० एल० जैन पी० एच० डी० ९. तामिल भाषा का जैन साहित्य - [ प्रो० ए० चक्रवर्ती एम. ए. आई. ई. एस. १०. अहिंसा सम्बन्धी एक महत्वपूर्ण प्रश्नावली -- [विजयसिंह नाहर ११. वीक हिंसाका प्रयोग - [ श्री महात्मा गाँधी १२. उच्च कुल और उच्च जाति [ श्री. बी. एल. जैन १२६ संशोधन गत जून-जुलाई मास की संयुक्त किरण (८-१) में मुद्रित 'परिग्रह-परिमाण व्रत के दासी दास गुलाम थे' • इस लेख के छपने में कुछ अशुद्धियाँ हो गई हैं; जिनमेंसे खटकने वाली चंद खास अशुद्धियोंका संशोधन नीचे दिया • जाता है । पाठकजन उसे अपनी अपनी प्रतिमें बना लेवें: 23 ५३० १३१. 55 विषय-सूची ५३२ कालम १ पंक्ति १८ ७ १२ ४ २० २६ अशुद्ध ५५७ ५५९ ५६९ ५७२ ५७३ ५७७ ५७८ ५९६ ५९७ ६०५ ६०७ टाइटिल ३ पग्रहके खेल १५० दास्याः स्युः ४८-११ १६६४ शुद्ध परिग्रहके खेत १०२ अदासाः स्युः ८-४१५ ११६४ -प्रकाशक
SR No.527164
Book TitleAnekant 1940 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1940
Total Pages70
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Anekant, & India
File Size11 MB
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