________________ :104 अनेकान्त . वर्ष 3, किरण 1 श्रीमद्विजयानन्दसूरि, प्रसिद्ध नाम आत्मारामजी सम्बन्ध रखते हैं और वे तिरंगे, फोटोके तथा महाराजकी जन्मशताब्दिकी स्मृतिमें एक समिती रेखा चित्रादि रूपसे अनेक प्रकार के हैं। स्थापित करके विशाल आयोजनके साथ निकाला गया है / इसमें लेखोंके मुख्य तीन विभाग हैं-- ___इस ग्रन्थमें लेखांका संग्रह तथा संकलन (1) अंग्रेजी, (2) हिन्दी और (3) गुजराती। अच्छा हुआ है। कितने ही लेख तो बड़े महत्वके अंग्रेजी लेखोंकी संख्या 35, हिन्दी लेखोंकी 40 हैं / 'जैनधर्म और अनेकान्त' नामका एक लेख और गुजराती लेखोंकी 58 है। गुजरातीके लेख उनमेंसे 'अनेकान्त' के गत् वर्षकी छठी किरणमें दो विभागोंमें बंटे हुए हैं--एक खास मुनि आ- उद्धृत भी किया गया था / चित्र भी कितने ही त्मारामजी-विषयक, जिनकी संख्या 26 है और मनमोहक तथा कामके हैं / संक्षेपमें अपने दूसरे अन्य विषयोंसे सम्बन्ध रखने वाले पाठकोंके लिये यह प्रन्थ अनुभव, विचार तथा जिनकी संख्या 32 है / अंग्रेजीके लेखोंकी मननकी अच्छी सामग्री प्रस्तुत करता है / छपाई पृष्ठ संख्या 190, हिन्दी लेखोंकी-(जिनमें कुछ सफाई और गेट-अप सब चित्ताकर्षक है, कागज संस्कृतके पद्य लेख भी शामिल हैं) 218, भी अच्छा चिकना तथा पुष्ट लगा है और मूल्यऔर गुजराती लेखोंकी 144+260 है / इनके का तो कहना ही क्या ! वह तो बहुत ही कम है अतिरिक्त सम्पादकीय वक्तव्य, प्रकाशकीय और स्मारक समितिकी प्रचार दृष्टिको सूचित निवेदन और लेखसूचियों आदिके पृष्ठोंका भी करता है। यदि इससे दुगना-पाँच रुपये-मूल्य यदि लेखा लगाया जाय तो ग्रंथकी कुल पृष्ठ संख्या भी रक्खा जाता तो भी कम ही होता / ऐसी हालत 850 के करीब होजाती है। चित्रोंकी कुल संख्या में कौन साहित्यप्रेमी है जो ऐसे ग्रन्थका संग्रह न 150 है, जिनमेंसे 29 अंग्रेजी विभागके साथ, करे ! श्वेताम्बर समाजका अपने वर्तमान युगीन 50 हिन्दी विभागके और 60 गुजराती लेखोंके एक सेवापरायण पूज्याचार्यके प्रति यह भक्ति साथ दिये हैं। शेष 11 चित्रोंमेंसे 9 तो लेखारम्भ- भाव और कृतज्ञता-प्रकाशनका आयोजन से पहले दिये हैं,एक शताब्दि नायकका सुन्दरचित्र निःसन्देह बड़ा ही स्तुत्य एवं प्रशंसनीय है और बाहर कपड़ेकी जिल्दपर चिपकाया गया है और उसमें जीवनशक्तिके अस्तित्वको सूचित करता दूसरा जिल्दके भीतर ग्रन्थारम्भसे पहले छापा है। साथ ही दिगम्बर समाजके लिये ईर्षाके गया है। चित्र अनेक व्यक्तियों, संस्थाओं, जल्सों, योग्य है और उसके सामने इस दिशामें एक मंदिरों, मूर्तियों, शिलालेखों तथा हस्तलेखोंसे अच्छा कर्तव्यपाठ प्रस्तुत करता है। .