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________________ ५० वर्ष पूर्व दीक्षा महोत्सव पर गाया हुआ भजन मुबारिक हो यह उत्सव दीक्षा सुशील का आना मुबारिक हो। कठिन साधु की वृति पर यह दिल लाना मुबारिक हो॥१॥ RRACHA मिले है खुशनसीबी से तुम्हें गुरुदेव छोटेलाल। इनके चरण पर कुर्बान, हो जाना मुबारिक हो॥२॥ श्री महाराज छोटेलाल की, संगत से अय! सुशील। आत्म कल्याण के मार्ग पर, आजाना मुबारिक हो॥३॥ जगत जंजाल है झूठा, है समाई है तेरे दिल में। फंसो ना मोह में नर, मीठे स्वर गाना मुबारिक हो॥४॥ चमक उठो जहाँ में, मशले सूरज, दुआ सबकी। कर्म बन्धन के तोडने को, तुम्हें बाना मुबारिक हो॥५॥ श्री महाराज कुन्दनलाल जी, हर्षाए है अय! 'नाज '0। इन्हें सुशील जैसे पोते का, अब पाना मुबारिक हो॥६॥ श्रद्धा-सुमन बलि बलि जाॐ सुशील मुनि चरणा अतमन ने दर्शन पाया, शीतल भये मेरे नयना गुरु की महिमा प्रभु से न्यारी, वेद पुराण कहत हैं विचारी सत का मार्ग दिखाये सतगुरू, होय कृपा तो भव भयहरणा कल्पवृक्ष गुरुवर की छाया, पास न आवे उसके माया को कृतारथ जनम जनम को, जो आवे गुरुवर की शरणा सन्त हृदय सम नहीं है दूजा, परमारथ है जिसकी पूजा सब तज संत शरण जो आवे, भवसागर को तुरत है तरना श्रद्धा सुमन समर्पित करते, चरण सुशील का ध्यान धरो अब कमल हृदय धारण कर, सिद्धाचलम को वन्दित करना कमल मिश्र संगीत निर्देशक शिक्षायतन Jain Digest June 1994 Page 53 JainEducation Intemational 2010_02 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.527055
Book TitleJain Digest 1994 06 Special Issue
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFederation of JAINA
PublisherUSA Federation of JAINA
Publication Year1994
Total Pages64
LanguageEnglish
ClassificationMagazine, USA_Jain Digest, & USA
File Size12 MB
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