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________________ श्रद्धांजलि पूर्व सांसद श्री डालचन्द जैन नहीं रहे स्वतंत्रता सेनानी, निःस्वार्थ समाजसेवी, प्रसिद्ध उद्योगपति पूर्व सांसद दादा डालचंद जी जैन का दुःखद निधन रविवार, दिनांक 25 सितम्बर 2011 को सुबह उनके निवास स्थान सागर में हो गया। वे 83 वर्ष के थे। उनकी अंतिम यात्रा राजीव नगर वार्ड स्थित श्रीमंत भवन से निकाली गई। उनकी इस अंतिम यात्रा में कांग्रेस व अन्य राजनीतिक दलों के नेता, प्रशासनिक अधिकारी, समाजसेवी, डॉक्टर, वकील सहित समाज के सभी वर्गों के लोग शामिल हुए थे। प्रशासन की ओर से पुलिस की टुकड़ी ने 'गार्ड ऑफ ऑनर' के साथ उन्हें तिरंगा ओढ़ाया और पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। उनके ज्येष्ठ पुत्र श्री सुरेश जैन ने मुखाग्नि दी। समाज सेवा के कार्यों में गहरी रुचि रखने वाले श्री डालचन्द जी जैन, महावीर ट्रस्ट - म.प्र. के उपाध्यक्ष थे। दिगम्बर जैन परिषद के 14 वर्षों तक अध्यक्ष रहे। बीड़ी उद्योग संघ के कोषाध्यक्ष, मध्यप्रदेश फेडरेशन ऑफ चेम्बर्स ऑफ कॉमर्स एवं इंडस्ट्री भोपाल के वरिष्ठ सलाहकार थे। शैक्षणिक क्षेत्र में आपका महान योगदान स्तुत्य रहा। आप डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर की कार्यकारिणी समिति एवं भा. दि. जैन तीर्थ क्षेत्र कमेटी के सक्रिय सदस्य थे । श्री गणेशप्रसाद वर्णी संस्कृत महाविद्यालय ट्रस्ट, जैन उच्चतर माध्यमिक शाला एवं श्री भगवानदास शोभालाल चेरिटेबल ट्रस्ट के वर्षों से अध्यक्ष थे। आपने अमेरिका, कनाडा, इंग्लैंड, जर्मनी, हांगकांग, सिंगापुर आदि देशों की यात्राएं भी की हैं और अनेक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में भारत का प्रतिनिधित्व भी किया है। अपने दो पुत्रों - श्री सुरेश एवं श्री उदय तथा 6 पुत्रियों एवं नाती, पोते का एक भरा-पूरा परिवार छोड़ गये हैं। लेखनी के धनी श्री बाल पाटिल, मुंबई का दुःखद निधन यह सूचित करते हुए अत्यन्त दुःख हो रहा है कि जैन समाज के कर्मठ कार्यकर्ता एवं लेखनी के धनी श्री बाल पाटिल का दुःखद निधन शुक्रवार, दिनांक 7 अक्टूबर, 2011 को मुंबई में हो गया। श्री बाल पाटिल जैन समाज के एक प्रतिभावान व्यक्तित्व वाले कुशल लेखक हीं नहीं, अपितु निर्भीक वक्ता व बुद्धि के उतने ही प्रखर थे। आपका जन्म 19 नवम्बर 1932 को सांगली (महाराष्ट्र) के एक साधारण परिवार में हुआ था। बी.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद आपकी विशेष रुचि लेखन, पत्रकारिता में हुई और सन् 1960 से आपके शोधपूर्ण लेख टाइम्स ऑफ इंडिया, इकोनॉमिक टाइम्स एवं इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित होने लगे । आपने अनेक पुस्तकों का अंग्रेजी में अनुवाद करके उसका प्रकाशन करवाया। डॉ. हीरालाल जैन द्वारा लिखित पुस्तक 'युगों-युगों में जैन धर्म' का अंग्रेजी में अनुवाद करके उसे प्रकाशित करवाने में आपका विशेष योगदान रहा। आपके अथक प्रयासों से ही महाराष्ट्र सरकार ने जैन धर्म को अल्पसंख्यक घोषित किया है। । दिनांक 7 अक्टूबर 2011 को आपके हुए आकस्मिक दुःखद निधन से जैन समाज की अपूरणीय क्षति हुई है। कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ परिवार की विनम्र श्रद्धांजलि श्रीमती सुंदरदेवी अग्रवाल का निधन डॉ. पारसमल अग्रवाल की पूज्य मातुश्री सुंदरदेवी अग्रवाल का 87 वर्ष की वय में दिनांक 7 दिसम्बर 2011 को उदयपुर में देवलोक गमन हो गया है। जावद (म.प्र.) के मध्यमवर्गीय परिवार की 8 सुयोग्य पुत्र-पुत्रियों व भरे-पूरे परिवार की माता, जिनका जीवन जैन धर्म-दर्शन एवं जिनपूजा को समर्पित रहा है। ऐसी निष्काम कर्मयोगी दिवगंत दिव्यात्मा को कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ परिवार की विनम्र श्रद्धांजलि..... ॐ शांति । अर्हत् वचन, 24 (1), 2012 97
SR No.526592
Book TitleArhat Vachan 2012 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year2012
Total Pages102
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size3 MB
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