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________________ राष्ट्रसंत पूज्य उपाध्याय श्री ज्ञानसागर जी के सानिध्य में शास्त्रि परिषद का अधिवेशन सम्पन्न 15-19 जून 2011 के मध्य श्री पार्श्वनाथ दि. जैन मंदिर, गुलालवाड़ी, बुम्बई में अ.भा. दि. जैन शास्त्रि परिषद का वार्षिक अधिवेशन पूज्य उपाध्याय श्री ज्ञानसागरजी के ससंघ सान्निध्य में सम्पन्न हुआ । अधिवेशन को संबोधित करते हुए पूज्य उपाध्याय श्री ने कहा कि 'श्रावक सच्चे देव, शास्त्र और गुरु की पूजा करें, पंथ वर्ग से ऊपर उठकर लोगों को कार्य करना चाहिए । विसंगतियां भगवान आदिनाथ के समय में भी थीं। मारीचि ने अपना मत अलग चलाया था। मतभेद, मनभेद में न बदलें । समयसार पढ़कर जीवंत बनें और अशुभ आस्रव का बंध न हो ऐसा प्रयास सभी को करना चाहिए । शास्त्रि परिषद् के माध्यम से विद्वान अच्छा कार्य कर रहे हैं। विद्वानों ने सुप्त शक्तियों को जगाने का कार्य किया है। समता और अनेकांत तथा स्याद्वाद के सिद्धान्तों के विश्व में प्रचार-प्रसार के लिए हम सभी मिलकर कार्य करें। प्रचार मंत्री डॉ. नरेन्द्र कुमार जैन सनावद ने बताया कि उपाध्याय श्री ज्ञानसागरजी महाराज एवं क्षुल्लक प्रयत्न सागर जी महाराज की उपस्थिति में पंच दिवसीय विद्वत् प्रशिक्षण शिविर, पुरस्कार वितरण तथा वार्षिक कार्यकारिणी की बैठक तथा वार्षिक अधिवेशन के कार्यक्रमों के दौरान तत्वार्थ सूत्र, दशलक्षण धर्म तथा आगमिक सिद्धांत एवं वास्तुशास्त्रों पर प्रशिक्षण, प्रवचन प्रशिक्षण के साथ परिषद् का अधिवेशन डॉ. श्रेयांस कुमार जैन बड़ौत की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ । महामंत्री ब्र. भैया जयनिशांत जी टीकमगढ़ द्वारा गत वार्षिक अधिवेशन की रिपोर्ट प्रस्तुति उपरांत संयुक्त मंत्री विनोद जैन रजवास ने शास्त्रि परिषद् के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए इसे देव, शास्त्र गुरु के प्रति समर्पित ऐसी संस्था बताया जो एकान्तवाद का तीव्र विरोध करती है। डॉ. वृषभ प्रसाद जैन लखनऊ ने विद्वानों के श्रमसाध्य कार्य की सराहना करते हुए उन्हें आगम का पारायण करने की प्रेरणा दी और समाज का आह्वान किया कि उन्होंने मन्दिर और तीर्थ तो बहुत बनाये अब इस ओर ध्यान देना चाहिये कि शिक्षण शिविरों, जिनवाणी के प्रकाशन, पुस्तकालयों की स्थापना व शास्त्र तीर्थों को बनाने की पहल करें । शास्त्रि परिषद् के हर कार्य में पूज्य उपाध्याय श्री ज्ञानसागर जी महाराज के योगदान के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए डॉ. नरेन्द्र कुमार जैन ने बताया कि प्रतिभा सम्मान, विद्वत् सम्मेलन, वकीलों के सम्मेलन, विद्वानों के सम्मान जैसे महत्वपूर्ण कार्य श्रुत संवर्द्धन संस्थान मेरठ करता है। इस कड़ी में अब संस्थान ने देश की महत्वपूर्ण संस्था या प्रमुख व्यक्ति को 5 लाख तथा वैज्ञानिकों को एक-एक लाख के नगद पुरस्कार की घोषणा की। दशलक्षण पर्व पर विद्वानों को प्रवचन के माध्यम से प्रेरणा देने वाले आ. भा. दि. जैन विद्वत् परिषद् के महामंत्री डॉ. सुरेन्द्र जैन 'भारती' बुरहानपुर को एवं पं. अमृतलाल जी, दमोह को समाज श्रेष्ठी अमरचंद स्मृति पुरस्कार, डॉ. भागचन्द 'भागेन्दु' को पं. प्रसन्न कुमार स्मृति पुरस्कार, श्री कपूरचंद घुवारा को श्री मिश्रीलाल बैनाड़ा पुरस्कार, स्व. श्री फूलचंद सेठी स्मृति पुरस्कार श्री हंसमुख जी धरियावद एवं डॉ. नरेन्द्र जैन को एवं पं. रामस्वरूप जैन शास्त्री पुरस्कार (प्राचार्य श्री नरेन्द्र प्रकाश जैन द्वारा प्रदत्त) डॉ. सनत कुमार जैन, जयपुर, को प्रदान किये गये । श्री फूलचंद सेठी पुरस्कार श्री कपूरचंद जैन गौहाटी (सम्पादक जैन गजट) तथा पं. सिंहचन्द शास्त्री, चेन्नई पं. बच्चूलाल जैन, पं. शीतलचंद जैन एवं पं. राजकुमार जैन को भी प्रदान किये जायेंगे। पुरस्कृत विद्वानों को तिलक, माल्यार्पण, श्रीफल, शास्त्र, प्रशस्ति पत्र के साथ ग्यारह अर्हत् वचन, 23 (4), 2011 92
SR No.526591
Book TitleArhat Vachan 2011 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year2011
Total Pages102
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size8 MB
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