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________________ पत्र का वाचन किया तथा उनकी विशिष्ट सेवाओं व कार्यों से सभा में मौजूद हजारों लोगों को परिचय कराया। समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में दैनिक भास्कर समूह के सम्पादक श्री श्रवण गर्ग भी मौजूद थे। सभा में श्रीमती मेनका गांधी ने अपने भाषण में कहा कि यद्यपि मैं जन्म से जैन नहीं हूँ पर कर्म से जैन हूं। उन्होंने इच्छा जताई कि वे अगले जन्म में जैन कुल में जन्म लेना चाहती है। धर्माधिकारी डॉ. वीरेन्द्र हेगड़े ने कहा कि महाराज श्री जब बैंगलोर में थे तो उन्होंने कहां था कि हेगड़े जी! आपने समाज सेवा तो बहुत की है लेकिन बैंगलोर शहर के लिए क्या किया? आज मुझे महाराजजी के समक्ष यह कहते हुए अत्यंत प्रसन्नता हो रही है कि आपकी प्रेरणा के बाद हम वहां आयुर्वेदिक कॉलेज खोलने जा रहे है। इसके लिए हमने जमीन भी ले ली है। डॉ. गुलाब कोठारी ने कहा कि नया सृजन हमेशा समर्पण मांगता है। श्री श्रवण गर्ग ने बताया कि देश में अत्याचार, भ्रष्टाचार बढ़ रहा है। ऐसे में मुनिश्री तरुणसागरजी जैसे संत ही हैं जिनमें हम इस समस्या का समाधान देखते हैं। महावीर पुरस्कार वर्ष-2011 एवं ब्र. पूरणचन्द रिद्धिलता लुहाड़िया पुरस्कार - 2011 प्रबन्धकारिणी कमेटी दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्रीमहावीरजी द्वारा संचालित जैनविद्या संस्थान, श्री महावीरजी के वर्ष 2011 के महावीर पुरस्कार के लिए जैनधर्म, दर्शन, इतिहास, साहित्य, संस्कृति आदि से संबंधित किसी भी विषय की पुस्तक की चार प्रतियाँ दिनांक आमन्त्रित हैं । इस पुरस्कार में प्रथम स्थान प्राप्त कृति को 31001 रुपये एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जायेगा तथा द्वितीय स्थान प्राप्त कृति को ब्र. पूरणचन्द रिद्धिलता लुहाड़िया साहित्य पुरस्कार 5001 रुपये एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जायेगा। 31 दिसम्बर, 2006 के पश्चात् प्रकाशित पुस्तक ही इसमें सम्मिलित की जा सकती हैं। स्वयंभू पुरस्कार-2011 दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्री महावीरजी द्वारा संचालित अपभ्रंश साहित्य अकादमी, जयपुर के वर्ष-2011 के स्वयंभू पुरस्कार के लिए अपभ्रंश से सम्बन्धित विषय पर हिन्दी अथवा अंग्रेजी में रचित रचनाओं की चार प्रतियाँ आमन्त्रित हैं। इस पुरस्कार में 21001 रुपये एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जायेगा। 31 दिसम्बर, 2006 से पूर्व प्रकाशित तथा पहले से पुरस्कृत कृतियाँ सम्मिलित नहीं की जायेगी। नियमावली तथा आवेदन पत्र का प्रारूप प्राप्त करने के लिए संस्थान कार्यालय, दिगम्बर जैन नसियाँ, भट्टारकजी, सवाई रामसिंह रोड़, जयपुर-4 से पत्र व्यवहार करें। डॉ. कमलचन्द सोगाणी अर्हत् वचन, 23 (4), 2011
SR No.526591
Book TitleArhat Vachan 2011 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year2011
Total Pages102
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size8 MB
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