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________________ और जहां अनेकान्त है वहां फिर कोई आग्रह नहीं है। पुस्तकालयों के ग्रंथ- केवल प्रदर्शन की वस्तु न रह जावें बल्कि वे ज्ञान प्रकाश का माध्यम बनें । आज का बालक तर्कशील हो गया है। माता-पिता यदि स्वाध्याय नहीं करेंगे, तो उनकी संतान जैनधर्म के प्रति कतई अभिरुचि नहीं दिखायेगी। संकल्प करें कि हम स्वाध्याय करेंगे। अन्त में आभार प्रदर्शन संस्थान के मंत्री श्री योगेश जैन ने किया। कार्यक्रम के पश्चात् सम्मानीय अतिथियों के सत्कार में स्वल्पाहार रखा गया। संस्थान समय समय पर इस प्रकार गौरवपूर्ण व्याख्यान मालाओं का आयोजन करके ज्ञान की धरा को प्रवर्तमान किये हुए है । विशेष बात यह भी रही कि इसमें श्रोता- विद्वानों को भी आमंत्रित किया गया जिनकी संख्या लगभग 60 थी। पं. निहालचंद जैन निदेशक श्रीमती सरिता महेन्द्र कुमार जैन 'कुन्दकुन्द भारती' की ट्रस्टी मनोनीत श्रीमती सरिता महेन्द्र कुमार जैन, चैन्नई को सिद्धान्तचक्रवर्ती आचार्यश्री विद्यानन्द जी मुनिराज ने देश की प्रख्यात शोध संस्था ' कुन्दकुन्द भारती का ट्रस्टी मनोनीत किया है । / कुन्दकुन्द भारती दिल्ली के प्राकृत भवन में स्थित है। यहाँ से प्राकृत विद्या शोध पत्रिका का प्रकाशन होता है। आचार्यश्री के सानिध्य में त्यागीजन प्राकृत ग्रन्थों पर शोध करते हैं। खारवेल भवन में एक वृहद ग्रन्थालय की शोध कार्यों के लिए स्थापना की गई है। श्रीमती सरिता जैन चैन्नई के अग्रणी उद्योगपति और तीर्थ समर्पित समाजसेवी श्री भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थ संरक्षिणी महासभा के राष्ट्रीय कार्यध्यक्ष श्री महेन्द्र कुमार जैन की धर्मपत्नी हैं । वह देश की प्रख्यात समाजसेवी और धर्मपरायण श्राविकारत्न हैं, जिन्होंने 350 प्राचीन तीर्थों का संरक्षणसंवर्धन स्वतः से किया है। वह देश की प्रमुख दिगम्बर जैन संस्थाओं द्वारा सम्मानित हुई हैं। वह श्री भारतवर्षीय दिगम्बर जैन महिला महासभा की राष्ट्रीय अध्यक्षा, भारतवर्षीय तीर्थक्षेत्र कमेटी की उपाध्यक्षा से साथ साथ देश की गणमान्य संस्थाओं की ट्रस्टी और बोर्ड सदस्य हैं। कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ की ओर से उन्हें हार्दिक बधाई । Congratulation Dr. (Mrs) Ujwala Nandkumar Dongaonkar has received Ph.D. degree from RTM Nagpur University, recently. The topic of her research was 'On the scientific study of Karma paramāņu from Jaina Canonical texts. For the research she obtained the Guidance of Dr. Kamal Singh, former V. C. of Amravati University. She is working as an Assistant Profesor in G.H. Raisoni College of Engineering, Nagpur. अर्हत् वचन, 23 (4), 2011 89
SR No.526591
Book TitleArhat Vachan 2011 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year2011
Total Pages102
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size8 MB
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