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अर्हत् वचन कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर
सम्पादकीय केवल आम की ही नहीं आगम
की भी चिन्ता जरूरी
कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर के रजत जयन्ती वर्ष के शुभारम्भ (19.10.2011) की पूर्व संध्या में प्रकाशित अर्हत्वचन के इस 92वें अंक में हम अपने प्रेरणा स्रोत आदरणीय काका साहब श्री देवकुमार सिंह कासलीवाल जी को कृतज्ञता पूर्वक स्मरण कर रहे हैं। वे प्रकाशकीय अनुरोध शीर्षक से अर्हत्वचन में प्रायः लिखते रहते थे और इस प्रकार उनके मनोगत अनेक भावों
की अभिव्यक्ति हो जाती थी। 1987 में अ.भा.दि. जैन विद्वत् परिषद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक एवं आचार्य कुन्दकुन्द द्विसहस्राब्दि महोत्सव वर्ष के सन्दर्भ में आयोजित जैन विद्या राष्ट्रीय संगोष्ठी (18-19 अक्टूबर 1987) के अवसर पर आपने अपनी भावना व्यक्त की 'हम दि. जैन उदासीन आश्रम ट्रस्ट के अन्तर्गत कुछ विशिष्ट शैक्षणिक/अकादमिक गतिविधि प्रारम्भ करना चाहते हैं। इस भावना एवं आचार्य कुन्दकुन्द द्वि-सहस्राब्दि महोत्सव वर्ष का निमित्त पाकर कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर की स्थापना 19.10.87 को हुई।
ज्ञानपीठ की घोषणा तो हो गई किन्तु जब प्राथमिकतायें, रीति-नीति, कार्यशैली, लक्ष्य तय करने की बारी आई तो गम्भीर अध्ययन, स्पष्ट चिन्तन एवं दीर्घ दृष्टि सम्पन्न काका सा. ने जो मार्गदर्शन दिया वह आज भी उतना ही प्रासंगिक है
1. पूर्ववर्ती 23 तीर्थंकरों की बात तो दूर की है वर्तमान शासन नायक भगवान महावीर की भौतिक उपस्थिति सिद्ध करने वाला एक भी शिलालेखीय प्रमाण, पुरातात्विक साक्ष्य हमारे पास उपलब्ध नहीं है। हमें इस पर कार्य करना चाहिये।
___ 2. देश भर में विराजित लाखों जिन मूर्तियों की प्रशस्तियाँ एवं पांडुलिपियाँ इतिहास की महत्वपूर्ण एवं प्रामाणिक स्रोत हैं । नये तथ्य यहाँ से ही मिलते हैं किन्तु न तो मूर्तियों की गणना है और न पांडुलिपियों की। हमें अपने मन्दिरों/चैत्यालयों/शास्त्रभंडारों तथा उनमें विराजित मूर्तियों/ पांडुलिपियों का विस्तृत लेखा-जोखा तैयार करना चाहिये । जंगलों, खण्डहरों में पड़ी मूर्तियों, शिलालेखों तथा असुरक्षित स्थानों पर रखी पांडुलिपियों का संरक्षण तत्काल जरूरी है।
3. 'जैन धर्म एक वैज्ञानिक धर्म है' यह कहते सभी है किन्तु जैनागमों का वैज्ञानिक दृष्टि से अध्ययन करने एवं उनमें निहित वैज्ञानिक सामग्री का संकलन करने तथा वैज्ञानिक पृष्ठभूमि वाले जैन विद्या के अध्येताओं द्वारा संकलित सामग्री का विश्लेषण कराने वाला देश में एक भी केन्द्र नहीं है। हमें इस ओर पहल करनी चाहिये। ___उक्त लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में एक सुविचारित योजना के अधीन कार्य शुरू किया गया।
अर्हत् वचन, 23 (4), 2011