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________________ (Moving disturbance) ही तरंग हैं। तरंगों का एक रोचक तथ्य यह भी है कि माध्यम में निरन्तर संपीडन व संकुचन (compression and rarefaction) से ध्वनि सुनायी देती है, जो कम दबाव या शून्य अवस्था आने पर ( वायुमण्डल दबाव 760 मिमि. से कम होते जाने पर ) ध्वनि तरंगें कम सुनायी देती हैं अथवा नहीं भी सुनायी देती। ध्वनि तरंगों को ले जाने वाले कणों को ही जैनाचार्यों ने 'शब्द वर्गणा' कहा है। इस प्रकार के किसी विशेष कारण जो केवल ध्वनि को स्थानान्तरित करता है - विज्ञान में कोई स्पष्ट उल्लेख दृष्टि में नहीं आता, एक विशेष ऊर्जा का परिणिति ही समझायी जाती हैं। विज्ञान ने यह भी बतलाया है कि सभी तरंगों को माध्यम की आवश्यकता नहीं होती। जिन तरंगों के संचरण (propagation) के लिये किसी माध्यम-ठोस , द्रव या गैस आदि की आवश्यकता होती है, वे यान्त्रिक(mechanical waves ) तरंगें कही जाती हैं जैसे, जल आदि में टकराने से उत्पन्न विस्फोट आदि से उत्पन्न ध्वनि । जिन तरंगों को माध्यम की आवश्यकता नहीं होती , वे विद्युत चुम्बकीय तरंगें (electro magnetic waves) कहलाती हैं। जैसे, प्रकाश तरंगें, रेडियो तरंगें आदि। यह विशेष दृष्टव्य है कि किसी भी प्रकार की गति के लिये, संचरण के लिये (propagation) माध्यम की आवश्यकता होती है, जिसे एक मात्र जैन दर्शन ने ही सर्वत्र 'धर्मद्रव्य' की सत्ता बतलाकर तथ्य की सयुक्तिक व्याख्या की है। माध्यम के कणों के कम्पन की प्रवृत्ति के आधार पर, ये यान्त्रिक तरंगें (mechanical waves) दो प्रकार की होती हैं - (1) अनोपृष्ठ तरंगें (Transverse waves ) (2) अनुदैर्ध्य तरंगें (Longitudinal waves) माध्यम के कण, जिस ध्वनि में , संचरण के लम्बवत् (Perpandicular) गमन करते हैं ,वे अनोपृष्ठ तरंगें (Transverse waves) होती हैं तथा जिस ध्वनि माध्यम के कारण संचरण से दूर गमन करते हैं अर्थात् संपीडन व संकुचन करते हुए कुछ फैल जाते हैं , वे अनुदैर्ध्य तरंगें (Longitudinal waves) होती हैं। Wave linge तदैEabeast amplitude अनो पृष्ठ तह trough उपरोक्त चित्रानुसार, माध्यम के कण एक निश्चित सीमा A से H में ऊपर शीर्ष (Crest) व नीचे (trough) बनाते हुए कम्पन करते हैं तथा ऊपर या नीचे जाते हैं, वह आयाम (amplitude) है जबकि दो शीर्ष (Crest) या दो (trough) के मध्य की दूरी तरंगदैर्ध्य (wavelength) है। जिसे एक पूर्ण तरंगदैर्ध्य से व्यक्त करते हैं तथा कणों की गति में मूलस्थिति से लम्बवत् ऊपर या नीचे की समान किन्तु अधिकतम दूरी को आयाम amplitude कहा जाता है । इस प्रकार एक सेकंड में तरंगों के कम्पन की संख्या को आवृत्ति (frequency) कहा जाता है जिसे v न्यू (Neu) से व्यक्त करते हैं । इसकी इकाई प्रति सेकण्ड हर्ज (Hertz or Hz) होती है । ध्वनि तरंगों का वेग इसी से निर्धारित किया जाता है । जैसे, ध्वनि का वेग वायु में 344 मीटर प्रति सेकण्ड है अर्थात् वायु में कोई ध्वनि एक सेकण्ड में 344 मीटर तक जाती है। इससे यह भी सिद्ध हुआ है कि माध्यम के परिवर्तित होने पर ध्वनि का वेग भी परिवर्तित हो जाता है। अर्हत् वचन, 23 (4), 2011
SR No.526591
Book TitleArhat Vachan 2011 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year2011
Total Pages102
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size8 MB
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