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________________ 18 अर्हत् वचन, 23 (4), 2011 कालक्रम से शताब्दी टीकाकार जिनदासगणी महत्तर (635-710) ? कोट्याचार्य 8 वीं ई. शादी हरिभद्रसूरि (याकिनी पुत्र) (705-775) नियुक्ति भाष्य चूर्णि निशीथविशेष, नंदी- (676 में रचना पूरी हुई) अनुयोगद्वार आवश्यक, दशवैकालिक, उत्तराध्ययन, आचारांग, सूत्रकृतांग, (सं.प्रा.) व्यवहार, ओधनिर्युक्ति, पिंडनियुक्ति (प्रा.) संस्कृत टीका जिनभद्रगणी श्रमाश्रमण की अपूर्णस्वोपज्ञवृत्ति विशेषावश्यकभाष्य, विवरण रूप में पूर्ण की | नंदीवृत्ति, अनुयोगद्वार दशवैकालिक (शिष्यबोधिनी वृत्ति या बृहद् वृत्ति) प्रज्ञापना प्रदेशव्याख्या, लोकभाषा में रचित व्याख्या
SR No.526591
Book TitleArhat Vachan 2011 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year2011
Total Pages102
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size8 MB
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