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अर्हत् वचन, 23 (4), 2011
कालक्रम से
शताब्दी
टीकाकार
जिनदासगणी
महत्तर
(635-710)
?
कोट्याचार्य
8 वीं ई. शादी हरिभद्रसूरि
(याकिनी पुत्र) (705-775)
नियुक्ति
भाष्य
चूर्णि
निशीथविशेष, नंदी- (676 में
रचना पूरी हुई)
अनुयोगद्वार
आवश्यक,
दशवैकालिक,
उत्तराध्ययन,
आचारांग,
सूत्रकृतांग, (सं.प्रा.)
व्यवहार,
ओधनिर्युक्ति,
पिंडनियुक्ति
(प्रा.)
संस्कृत टीका
जिनभद्रगणी श्रमाश्रमण की अपूर्णस्वोपज्ञवृत्ति विशेषावश्यकभाष्य,
विवरण रूप में पूर्ण की
| नंदीवृत्ति, अनुयोगद्वार दशवैकालिक (शिष्यबोधिनी
वृत्ति या बृहद् वृत्ति) प्रज्ञापना प्रदेशव्याख्या,
लोकभाषा में रचित व्याख्या