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________________ अर्हत वचन कुन्दकुन्दज्ञानपीठ, इन्दौर वर्ष - 23, अंक - 4, अक्टूबर-दिसम्बर - 2011, 15-26 जैन आगमिक व्याख्या साहित्य का कालक्रम में विकास - वंदना मेहता सारांश प्रस्तुत आलेख में दिगम्बर एवं श्वेताम्बर परम्परामान्य उपलब्ध आगमिक व्याख्या साहित्य नियुक्ति, भाष्य, चूर्णि, संस्कृत टीकाओं एवं लोकभाषा की टीकाओं को कालक्रम से सूचीबद्ध किया गया है। यह प्राथमिक सूची है अनेक अन्य नाम इसमें जोड़े जा सकते हैं। जैन साहित्य में आगमिक व्याख्या साहित्य अपने आप में बहुत विशाल एवं महत्त्वपूर्ण विषय है। मैं अपने शोध के दौरान यह महसूस कर रही थी कि जैन आगमिक व्याख्या साहित्य का भी कालक्रम से विकास के बारे में जानाकारी हो और यथासमय उसका उपयोग किया जा सके । इस विषय पर Prof. S.R.Banerjee के Chronological Development of Jain Literature.! लेखक ने लगभग समस्त जैन साहित्य के बारे में उल्लेख कर दिया, किन्तु जैन आगमिक व्याख्या साहित्य विषय अछूता रहा अत: उन्हीं के निर्देशानुसार जैन आगमिक व्याख्या साहित्य के कालक्रम से विकास को आपको सामने प्रस्तुत करने की कोशिश कर रही हूं ताकि शोधार्थियों को इससे विशेष लाभ प्राप्त हो सके। मूल ग्रंथ के रहस्य का उद्घाटन करने के लिए उस पर व्याख्या साहित्य का निमाण करना भारतीय ग्रंथकारों की बहुत पुरानी परम्परा रही है और ऐसा ही जैन आगम ग्रंथों के साथ हुआ। जैन आगमों का विशाल व्याख्या साहित्य प्राप्त होता है। वह मुख्यत: पांच भागों में हमारे सामने हैं। 1. नियुक्ति (निज्जुत्ति) 2. भाष्य (भास) 3. चूर्णि (चूण्णि ) 4. संस्कृत टीकाएं 5. लोकभाषा में रचित व्याख्याएं। 1. नियुक्ति - जैन आगम साहित्य पर सर्वप्रथम प्राकृत भाषा में रचित पद्यबद्ध टीकाएं नियुक्ति नाम से विश्रुत हैं। नियुक्तियों में मूल ग्रंथ के प्रत्येक पद की व्याख्या न कर मुख्य रूप से पारिभाषिक शब्दों की व्याख्या की गई है। नियुक्तिकार आचार्य भद्रबाहु द्वितीय (5-6 ईस्वी शताब्दी) माने जाते हैं । यद्यपि कुछ विद्वान भद्रबाहु प्रथम को भी नियुक्तिकार स्वीकार करते हैं । 2. भाष्य - नियुक्तियों के गंभीर रहस्यों को प्रकट करने के लिए विस्तार से नियुक्तियों के समान ही प्राकृत भाषा में जो पद्यात्मक व्याख्याएं लिखी गई वे भाष्य के नाम से प्रसिद्ध हैं। नियुक्तियों के शब्दों में छिपे हुए अर्थ बाहुल्य को अभिव्यक्त करने का श्रेय सर्वप्रथम भाष्यकारों को है। कुछ * सहायक प्राध्यापक : जैन विश्व भारती वि.वि., लाडनूं 341 306
SR No.526591
Book TitleArhat Vachan 2011 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year2011
Total Pages102
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size8 MB
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