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________________ 1000 वर्ष प्राचीन मूर्ति, अब कपड़े धोने का पत्थर भगवान महावीर कीर्तिस्तंभ का लोकार्पण महावीर ट्रस्ट, इंदौर द्वारा निर्मित, राजस्थान के गुलाबी पत्थरों से उकेरी गई, चित्तौड़गढ़ कीर्तिस्तंभ की प्रतिकृति, भगवान महावीर कीर्तिस्तंभ का लोकार्पण एवं टस्ट गतिविधियों के लिये निर्मित होने वाले भवन का भूमि पूजन मध्य प्रदेश शासन के आवास एवं पर्यावरण मंत्री श्री जयंतजी मलैया द्वारा किया गया। इस अवसर पर महावीर ट्रस्ट द्वारा।। विकलांगों को कृत्रिम पैर भेंट किये गए। मंत्री श्रीमलैया ने कहा कि महावीर ट्रस्ट वर्षों से परमार्थ के कार्यों में संलग्न होकर अपनी एक विशिष्ट छवि इंदौर ही नहीं पूरे प्रदेश में बनाए हुए हैं। महावीर ट्रस्ट द्वारा निर्मित यह कीर्तिस्तंभ बहुत सुंदर बनकर ऐतिहासिक धरोहर के रूप में इंदौर में विद्यमान हो गया है। _ट्रस्ट अध्यक्ष श्री प्रदीप कासलीवाल ने अतिथियों का स्वागत करते हुए ट्रस्ट द्वारा किये गए विस्तृत कार्यों की जानकारी प्रदान की। महावीर विकलांग सेवा योजना के संयोजक डॉ. देवपाटोदी ने स्वास्थ्य योजना की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ट्रस्ट द्वारा अभी तक 8300 कृत्रिम पैर, 3400 ट्राईसाइकिल, कैलीपर्स आदि अनेक उपकरण विकलांगों को निःशुल्क प्रवन किए गये हैं। टस्ट के महामंत्री श्री जयसेन जैन ने सन्मतिवाणीपत्रिका की जानकारी प्रदान की। महावीर ट्रस्ट द्वारा कीर्तिस्तभएवंटस्ट जानकारी के फोल्डर का विमोचन डॉ. प्रकाशचंद जैन एवं प्रबंधक ललित राठौर ने करवाया। कार्यक्रम में ट्रस्ट के ट्रस्टी श्री विजयजी मलैया, पद्मश्री बाबूलालजी पाटोदी, डॉ. प्रकाशचंद्र जैन, एवं श्री जवसेन जैन को उनकी उत्कृष्ट सेवाओं के लिए सम्मानित किया गया। इस अवसर पर भाजपा नगर अध्यक्ष श्री शंकर ललवानी, पूर्व मंत्री श्री ललित जैन, श्री सुरेश मिंडा, कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ के अध्यक्ष डॉ. अजित कासलीवाल, सचिव डॉ. अनुपम जैन एवं अनेक समाजजन उपस्थित थे। कार्यक्रमकासंचालन श्री प्रदीपचौधरीने किया एवं आभार डॉ.प्रकाशचंद जैन ने माना। भगवान महावीर का मान दशकों से महिलायें पुराने ममल्लापुरम् रोड पर स्थित पादूर में मंदिर टैंक के पास एक पत्थर का प्रयोग कपड़े धोने के लिए करती थीं। एक रविवार को गांव के बुजुर्गों और पंचायत अधिकारी को टैंक की मरम्मत करते समय पता चला कि यह दुर्लभ जैन मूर्ति 1000 वर्ष से अधिक पुरानी है। अब वही महिलायें उस कपड़े धोने के पत्थर की पूजा करती हैं और उस पर फूल चढ़ाती हैं। पंचायत अधिकरी ने टंकी के पास झाड़ियों को साफ करने के लिए पत्थर की खुदाई की थी। उन्होंने महसूस किया कि जो पत्थर महिलाएं कपड़े धोने के लिए इस्तेमाल कर रही थी वह मूर्तिकापीछेवालाभागधा और सामने का भाग कुछ फीट तक दफनाया गया था। हम समझरहे थे कि मूर्ति खो गई है। पादूर पंचायत के अध्यक्ष टी. परमशिवम् ने कहा कि हम इसे पाकर बहुत खुश हैं। मूर्ति 24वें जैन तीर्थंकर भगवान महावीर की है। तीर्थंकर को ध्यान मुद्रा में दर्शाया गया है और उसके पीछे चंवर धारी हैं। मूर्तिकला के सिर पर एक अशोक वृक्ष है और दोनों तरफ फूल ले जाने के लिए सेवक खड़े है। पुरातत्वविदों के अनुसार सिर के ऊपर तीन छत्र की उपस्थिति स्पष्ट संकेत है कि मूर्ति जैन तीर्थकर की है। एमोर में सरकारी संग्रहालय ने मूर्ति, जो थोड़ा क्षतिग्रस्त है. पुनः ठीक करने का प्रस्ताव किया है लेकिन ग्रामीणों ने कहा है कि उनकी इसके लिए एक मंदिर के निर्माण की योजना है। अतः मूर्ति ग्राम में ही विराजित की जाये। पुरातत्वविदों ने कहा कि चैन्नई और आस-पास के जिले जैसे कांचीपुरम 10वीं सदी ई. तक जैन धर्म के महत्वपूर्ण केन्द्र विशेष रूपसे चोल अवधि के दौरान थे। श्री सतीश जैन (AIR) दिल्ली द्वारा टाईम्स ऑफ इंडिया 1.9.11 में प्रकाशित समाचार के आधार पर प्रस्तुत लोकार्पण लोकार्पण के शिलालेख के साथ मुख्य अतिथि, ट्रस्टी एवं अध्यक्ष
SR No.526591
Book TitleArhat Vachan 2011 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year2011
Total Pages102
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size8 MB
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