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________________ अर्हत् वचन कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर वर्ष 23, अंक 3, जुलाई-सितम्बर - 2011, 43-46 ग्वालियर दुर्ग एक जैन तीर्थ स्थल ■ जया जैन * सारांश प्रसिद्ध जैन तीर्थं गोपाचल पर बनी विशाल जैन प्रतिमाओं का सूक्ष्म अवलोकन करने पर यह विदित होता है कि यहां तीर्थकर के पांच कल्याणकों का चित्रण किया गया है। किन्तु अन्य प्रतिमा समूहों से बाहर होने के कारण शोध प्रबंधों एवं इतिहास की पुस्तकों में इनका उल्लेख अत्यल्प मिलता है। प्रस्तुत आलेख में ऐसी प्रतिमाओं को चिन्हित कर उनका विवेचन किया गया है। सम्पादक भारत के दुर्गों की मणिमाला का मणि ग्वालियर दुर्ग वीरता, वीतरागता, कला, शिल्प एवं आध्यात्मिकता की अमूल्य निधि है। ग्वालियर दुर्ग भारत के हृदय स्थल मध्यप्रदेश के प्राचीनतम क्षेत्र ग्वालियर में एक स्वतन्त्र पहाड़ी पर स्थित है । ग्वालियर दुर्ग का विस्तार जमीन से 90 मीटर ऊँची पहाड़ी पर उत्तर से दक्षिण 2.8 किलोमीटर और पूर्व पश्चिम में 180-184 मीटर के बीच फैला है। इस स्थल को गोपादि, गोपाचल व गोपागिरि के नाम से भी जाना जाता है । प्राचीन काल से ही ग्वालियर क्षेत्र के साथ अनेकानेक, साम्राज्यों, कई महत्वपूर्ण राजघरानों का समय समय पर निकट का संबंध रहा। ग्वालियर की सांस्कृतिक परम्पराओं को सुदृढ बनाने में तोमर शासकों का महत्वपूर्ण योगदान रहा। ग्वालियर के तोमरों की धार्मिक क्षेत्र में उदार नीति का प्रस्फुटन तोमर वंश के पराक्रमी राजा डुगेन्द्रसिंह व कीर्तिसिंह के समय विशेष रूप से रहा । डुगेन्द्रसिंह (वि.सं. 1481) तोमर वंश के महानतम राजाओं में से थे वे पराक्रमी भी थे और साहित्य, कला, संगीत के आश्रयदाता भी इस समय कला अपनी उन्नति के शिखर पर पहुंची थी। चौदहवीं पंद्रहवीं शताब्दी में ग्वालियर जैन कला की प्रखर गतिविधियों का प्रमुख केन्द्र रहा। जैन तीर्थंकरों की विशाल प्रतिमाओं व गुहा मन्दिरों का निर्माण ग्वालियर दुर्ग की चट्टानों पर करवाया, जो संख्या में 1500 के लगभग हैं । पन्द्रहवीं शताब्दी की तीर्थंकर प्रतिमा में 57 फुट ऊँची खड्गासन भगवान आदिनाथ की प्रतिमा है, विशालता के कारण बावनगजा के नाम से प्रसिद्ध है। यह ग्वालियर दुर्ग के उरवाई गेट के दक्षिण ओर में है। यहां 22 जैन तीर्थंकर मूर्तियां हैं, जिनमें क्रम संख्या 17, 20 व 22 प्रमुख हैं । क्रम संख्या 17 आदिनाथ भगवान की विशाल प्रतिमा है व क्रम संख्या 22 में नेमिनाथ भगवान की 30 फीट ऊँची है । वहीं दक्षिण पूर्व फूलबाग गेट (एक पत्थर की बावड़ी) ग्वालियर दुर्ग पर पार्श्वनाथ भगवान की अतिशय युक्त मनोहारी पद्मासन मुद्रा में विश्व की सबसे विशाल 42 फुट ऊँची तथा 30 फुट चौड़ी प्रतिमा है। अधिकांश प्रतिमाओं को मुगल शासकों के क्रूर हाथों ने खण्डित करने का प्रयास किया, किन्तु पार्श्वनाथ भगवान की विशालता को देखकर भाग खड़े हुये थे। इस प्रकार अनेक गाथाएं एवं किवंदतियां इस क्षेत्र के बारे में प्रचलित है। जनश्रुति प्रचलित है कि जो कोई * प्राध्यापिका (चित्रकला), के. आर. जी. कॉलेज, ग्वालियर (म.प्र.) निवास : F-3 शासकीय आवास, कम्पू, ग्वालियर (म.प्र.) -
SR No.526590
Book TitleArhat Vachan 2011 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year2011
Total Pages101
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size32 MB
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