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________________ की आकृति के मुकुट पहनते थे। भरत क्षेत्र जम्बूद्वीप का दक्षिण भाग ही है और भरत उसके पहले चक्रवर्ती राजा थे। विद्वानों का अनुमान है कि प्राचीन समय में कतिपय भारतीय मिस्र गये थे। अतः संभव है कि वे भरत की राजमुकुट आकृति को वहाँ ले गये हों। जो हो, मुकुट की यह आकृति प्राचीन है और इसका उद्गम कैलाश पर्वत की लिंगाकार आकृति से हुआ है। यह भगवान ऋषभदेव के कारण पूज्य क्षेत्र बना और क्षेत्र पूजा का आदि प्रतीक हुआ स्व. श्री कामताप्रसादजी का मत है कि यही क्षेत्र पूजा कालान्तर में वैदिक आर्यो द्वारा लिंङ्ग पूजा में परिवर्तित की गई प्रतीत होती है। 10 तिब्बत की ओर से कैलाश पर्वत ढलान वाला है। उधर तिब्बतियों के बहुत मन्दिर बने हैं। तिब्बत के लोगों में कैलाश के प्रति बड़ी श्रद्धा है। अनेक तिब्बती तो इसकी बत्तीस मील की परिक्रमा दण्डवत प्रतिपात द्वारा लगाते हैं। लिंग पूजा इस शब्द का प्रचलन तिब्बत से प्रारम्भ हुआ। तिब्बती भाषा में लिंग का अर्थ क्षेत्र या तीर्थ है। अतः लिंग पूजा का अर्थ तिब्बती भाषा में तीर्थ पूजा है।" अतः यह सर्वमान्य है कि लिङ्गपूजा एक प्राइऐतिहासिक कालीन धार्मिक प्रथा है। 12 यह कैलाश क्षेत्र की पूजा थी। उधर शिवलोक या क्षेत्र कैलाश माना ही जाता है। ऋषभ का अलंकृत रूप 'शिव', 'रूद्र' अथवा 'पशुपति' है। 14 अन्य विद्वान भी ऐसा ही मानते हैं। अतएव शिवलिंग की पूजा कैलाश की क्षेत्रपूजा है जो भगवान ऋषभ के कारण पवित्र हुआ और जिसका लिंङ्गरूप था। ऋषभ दिगम्बर साधु थे उनकी नग्नता को लक्षाकर उपरान्त 'लिंग' शब्द 'क्षेत्र' अर्थ का सूचक नक पुरुषेन्द्रिय का द्योतक मात्र रह गया। 15 सन्दर्भ 1. 'तत्र क्षेत्र मङ्गलं गुर परिणतासनन परिनिष्क्रमण - केवलज्ञानोत्पत्तिः परिनिर्वाणक्षेत्रादिः । तस्योदाहरणम्, उज्र्ज्जन्त चम्पा पायानगरादिः ।' 2. जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति एवं कल्पसूत्र ऋषभ सौरभ, 1998, ऋषभदेवान. 1. 3. जैन दर्शन मनन और मीमांसा, मुनि नथमल, पृ. 16 4. जैन धर्म का प्राचीन इतिहास, प्रथम भाग, बलभद्र जैन, मेसर्स केशरीचन्द श्रीचन्द चांवल वाले, दिल्ली पृ.69. 5. महापुराण, पर्व 41 श्लोक 8788, पृ. 323324. 6. सन्दर्भ क्रमांक 4. षट्खंडागम-धवला टीका, पु. 1, पृ 26-29 7. गहापुराण, पर्व 41, श्लोक 8992, पृ. 324. 8. S.K. Roy, Pre-historic and Ancient Egypt, New Delhi, pp. 18-19. 9. Ibid, p. 34-40. इतिहास के बेताओं का मत है कि भारत से जाकर कुछ यादव एविसिनिया और इथ्यूपिया में आकर बसे थे और वहाँ से मिस तक एशियाटिक सिचेंज, माय 3. 87) अविसिनिया और इथ्यूपिया में प्राचीन काल में 'जिनोफिस्ट' था (एशियाटिक रिसर्पण, ५. 5) अर्थात् दिगम्बर जैन मुनिगण वहाँ विचरते थे क्योकि जिनोफिस्ट' का अर्थ नाम जैन मुनि गया है। एसाइक्लोपिडिया ब्रिटेनिका, भाग - 35. 10, seat, 44-7, 3-1-2, 34 a Tibetan word for land. The 11. It may be mentioned here that the Linga' is northern most district of Bengal is called Dorje-Ling (Darjeeling is an English corruption) अर्हत् वचन, 15 ( 4 ), 2003 Jain Education International For Private & Personal Use Only 19 www.jainelibrary.org
SR No.526560
Book TitleArhat Vachan 2003 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year2003
Total Pages136
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size11 MB
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