SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 2
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैन समाज ही नहीं राष्ट्र के गौरव सरस्वती के वरदपुत्र वाणीभूषण प्राचार्य श्री नरेन्द्रप्रकाशजी जैन 31 दिसम्बर 1933 को आगरा के ग्राम जटौआ में जन्मे प्राचार्यजी ने संघर्षपूर्ण युवावस्था में अपनी प्रतिभा, क्षमता एवं कर्मठता से आदर्श शिक्षक की भूमिका का निर्वाह करते हुए 20 वर्षों तक प्राचार्य के पद को गौरवान्वित किया। अखिल भारतीय दिगम्बर जैन शास्त्री परिषद के यशस्वी अध्यक्ष एवं जैन गजट के कुशल सम्पादक के रूप में अपने दायित्व का निर्वाह करते हुए आपने अपनी ओजस्वी किन्तु मर्मस्पर्शी वाणी तथा सरल, सहज, रोचक किन्तु तथ्यपूर्ण लेखनी से चतुर्विध संघ में पनप रहे शिथिलाचार पर गहरी चोट करते हुए तीर्थ भक्ति एवं गुरु भक्ति के क्षेत्र में नये प्रतिमान स्थापित किये हैं । दिगम्बर जैन आर्ष परम्परा के प्रति पूर्णतः समर्पित प्राचार्यजी का जीवन निर्भीकता एवं निष्पक्षता की जीवन्त मिसाल है । (देखें पृष्ठ 5-7 ) राष्ट्रीय अभिन्दन - कोलकाता, 25.12.03 Jain Education International कर्मठता की प्रतिमूर्ति समाजभूषण श्री कैलाशचन्दजी चौधरी 15 नवम्बर 1929 को इन्दौर के श्री बापूलाल चौधरी के परिवार में जन्में श्री कैलाशचन्द चौधरी प्रारम्भ से ही एक सफल व्यवसायी योजनाकार, संगठक एवं कार्य निष्पादक रहे हैं । व्यवसाय, राजनीति एवं समाजसेवा तीनों ही क्षेत्रों में आपने अपनी विशिष्ट छवि निर्मित की है। साठ के दशक में आपने पं. नेहरू के साथ जुड़कर युवक कांग्रेस के कार्यों को गति दी तो पश्चातवर्ती जीवन के 4 दशकों में भैया श्री मिश्रीलालजी गंगवाल एवं जैनरत्न श्री | देवकुमारसिंहजी कासलीवाल के साथ मिलकर समाज को आदिनाथ आध्यात्मिक अहिंसा फाउन्डेशन (बद्रीनाथ) एवं महावीर ट्रस्ट - म.प्र. के रूप में समाज को जो सौगात दी है, उनको | समाज कभी विस्मृत नहीं कर सकता है। (देखें पृष्ठ 8 ) अमृत महोत्सव - इन्दौर, जनवरी- 2004 कुन्दकुन्द परिवार की ओर से स्वस्थ एवं सुदीर्घ जीवन की मंगल कामनाएँ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.526560
Book TitleArhat Vachan 2003 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year2003
Total Pages136
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy