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________________ का निवास, नेमि जिनालय, साहित्य मन्दिर एवं विद्यापीठ की खोज के सन्दर्भ में मेरा यह सुनिश्चित मत है कि कागदीपुरा से मिली तीर्थंकर नेमिनाथ की दिगम्बर जैन प्रतिमा पण्डित आशाधर की समकालीन प्रतिमा होकर नेमि जिनालय में स्थापित मुख्य प्रतिमा है। मन्दिर का सम्पूर्ण भाग उसी स्थान पर बिखरा पड़ा है, वहाँ फैले अवशेष साहित्य मन्दिर विद्यापीठ के अवशेष हैं। सन्दर्भ 1. पंडित आशाधर ने विपुल परिमाण में साहित्य का सृजन किया है। वे मेघावी कवि, व्याख्याता और मौलिक चिन्तक थे। अब तक उनकी निम्नलिखित रचनाओं के उल्लेख मिले हैं - 1. प्रमेय रत्नाकर 2. भरतेश्वराभ्युदय 3. ज्ञान दीपिका 4. राजीमति विप्रलंभ 12 8. भूपालचतुर्विशंति टीका 9. आराधनासार टीका 10. अमरकीश टीका 11. क्रियाकलाप 12. काव्यालंकार टीका 13. सहस्रनामस्तवन सटीक 14. जिनयज्ञ कल्प सटीक 2. इन्दौर संग्रहालय में संरक्षित जैन तथा बौद्ध प्रतिमाएँ एवं कलाकृतियाँ, भोपाल, 1991. 5. अध्यात्म रहस्य 6. मूलाराधना टीका 7. इष्टोपदेश टीका प्राप्त - 30.10.03 Jain Education International मूर्ति पर अंकित प्रशस्ति 15. त्रिषष्ठिं स्मृति शास्त्र 16. नित्यमहोद्योत For Private & Personal Use Only 17. रत्नत्रय विधान 18. अष्टांगहृद्योतिनी टीका 19. सागार धर्मामृत सटीक 20. अनगार धर्मामृत सटीक अर्हत् वचन, 15 (4), 2003 www.jainelibrary.org
SR No.526560
Book TitleArhat Vachan 2003 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year2003
Total Pages136
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size11 MB
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