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________________ परिशिष्ट - प्राचार्य नरेन्द्रप्रकाश जैन अभिनन्दन समारोह भारती' संस्था बनाने की अपील की ताकि प्रतिवर्ष एक पी.एच.डी. शोध ग्रंथ को प्रकाशित किया जा सके। आपने कहा कि मैं सम्मान पाकर बहक न जाऊँ, अत: मुझे सावधान भी करते रहें। कार्यक्रम का संचालन वर्द्धमान संदेश के संपादक श्री अजीत पाटनी ने किया तथा आभार श्री महावीर गंगवाल ने माना। सायंकाल में देश की कई प्रतिनिधि संस्थाओं, अ. भा. दिगम्बर जैन शास्त्री परिषद, तीर्थंकर ऋषभदेव जैन विद्वत महासंघ की कार्यकारिणी की बैठकें तथा जैन संपादक सम्मेलन आयोजित किया गया। देश भर के लगभग 32 पत्र-पत्रिकाओं के संपादकों ने जैन पत्रकार परिषद का गठन कर संचालन करने के लिये एक त्रिसदस्यीय कमेटी गठित की जिसमें डॉ. चिरंजीलाल बगड़ा (कोलकता), डॉ. अनुपम जैन (इन्दौर) एवं डॉ. सुरेन्द्र भारती (बुरहानपुर) (संयोजक) शामिल हैं। 24 - 12 - 03 के रात्रिकालीन सत्र में महासभा के अधिवेशन के दौरान जैन शिक्षण नीति पर लंबी चर्चा की गई। डॉ. अनुपम जैन, इन्दौर ने कहा कि 1980 में आर्यिकारत्न श्री ज्ञानमती माताजी के सान्निध्य में बैठकर शिक्षा नीति की चर्चा हुई थी। जरूरत है इस पर योजनाबद्ध तरीके से कार्य करने की। श्री निर्मलकुमार सेठी ने कहा कि महासभा अब विद्यावाहिनी प्रोजेक्ट के माध्यम से शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करेगी तथा हमारा नारा शिक्षा - शिक्षा - शिक्षा, प्रेम - प्रेम - प्रेम ही होगा। श्री जे. के. जैन, मुम्बई ने इस अवसर पर महासभा की प्रस्तावित. शिक्षा योजना पर प्रकाश डाला। रमेश कासलीवाल ने इन्फार्मेशन टेक्नोलॉजी के युग में बेसिक तैयारी पर जोर दिया। डॉ. भागचन्द जैन 'भागेन्दु' ने कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ में किये गये विकास की चर्चा की तथा कहा कि जब डॉ. अनुपम जैन जैसा युवा विद्वान हमारे पास है तो हम निश्चित रूप से आगे बढ़ेंगे। श्री लालमणिप्रसाद जैन बरैया ने बड़ी-बड़ी योजनाओं में छोटे-छोटे गाँवों को भी समाविष्ट करने पर बल दिया। पूर्व विधायक श्री कपूरचन्द घुवारा ने कहा कि जो पाठशालाएँ चल नहीं रही हैं उन्हें हम जीवन्त बनायें। प्राचार्य नरेन्द्रप्रकाश जैन ने सिर्फ दो पाठशालाओं को गोद लेकर उन्हें मॉडल का रूप प्रदान करने पर बल दिया। डॉ. संजीव सराफ, सागर ने विभिन्न परीक्षाओं के लिये बड़ी जगहों पर होस्टल बनाने तथा शुद्ध भोजन की व्यवस्था की बात कही। संचालन महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री श्री चैनरूप बाकलीवाल ने किया। अभिनन्दन समारोह के दूसरे दिन श्री दिगम्बर जैन बड़ा मन्दिरजी में कर्मयोगी ब्र. रवीन्द्रकुमार जैन की अध्यक्षता में विशेष सम्मान सभा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर आकाशवाणी कलाकार श्री प्रदीप गंधर्व एवं श्री रमेश कासलीवाल, इन्दौर ने सुन्दर भजन प्रस्तुत किये। महासभा द्वारा प्राचार्यजी को प्रदत्त राशि एक लाख रुपये में प्राचार्यजी ने अपनी तरफ से पाँच हजार जोड़ते हुए शास्त्री परिषद को विद्वानों के सम्मान के लिये समर्पित किये जाने की घोषणा की सभी ने भूरि-भूरि प्रशंसा की। आपने कहा कि मेरे पूज्य पिताजी स्व. श्री रामस्वरूपजी की स्मृति में प्रतिवर्ष इस राशि की ब्याज राशि से एक पुरस्कार संचालित किया जाये। इस अवसर पर तीर्थंकर ऋषभदेव जैन विद्वत् महासंघ द्वारा प्राचार्यजी का शॉल, श्रीफल से अभिनन्दन किया गया। सम्मान पत्र का वाचन महासंघ के अध्यक्ष डॉ. शेखरचन्द जैन के किया। साथ ही दिगम्बर जैन त्रिलोक शोध संस्थान, कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, अ. भा. दिगम्बर जैन युवा परिषद, विद्वत् परिषद, शास्त्री परिषद सहित देश की कई संस्थाओं ने प्राचार्यजी का सम्मान किया। दिगम्बर जैन महासमिति के राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष श्री माणिकचन्द पाटनी (इन्दौर) ने शाल ओढ़कर प्राचार्यजी का सम्मान किया। यह सम्मान समारोह सभी दृष्टियों से अभूतपूर्व रहा। अर्हत् वचन, 15 (4), 2003 127 HHATHI Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.526560
Book TitleArhat Vachan 2003 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year2003
Total Pages136
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size11 MB
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