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________________ गतिविधियाँ डॉ. निर्मलकुमार जिनदास फडकुले को चारित्रचक्रवर्ती पुरस्कार कुन्दकुन्द सभामण्डप, ऋषभदेव पार्क, लाल किले के सामने, दिल्ली में सिद्धान्त चक्रवर्ती, राष्ट्रसंत परमपूज्य मुनि श्री विद्यानन्दजी महाराज के पावन सान्निध्य में कांग्रेस संसदीय दल के उपनेता माननीय श्री शिवराजजी पाटील के कर कमलो द्वारा सांस्कृतिक चेतना के प्रबुद्ध प्रवर्तक, प्राच्य भारतीय विद्याओं के महान साधक, प्रख्यात समाजसेवी, यशस्वी लेखक, पत्रकार डॉ. निर्मलकुमार जिनदास फडकुले, सोलापुर (महा.) के निरपेक्षवृत्ति से समाज एवं राष्ट्र के उत्थान के लिये किये गये बहुआयामी रचनात्मक कार्यों का मूल्यांकन करते हुए एवं उनकी साहित्यिक सेवाओं के लिये ओम कोठारी फाउन्डेशन द्वारा स्थापित एवं संपोषित त्रिलोक उच्चस्तरीय अध्ययन एवं अनुसंधान संस्थान द्वारा प्रवर्तित चारित्रचक्रवर्ती पुरस्कार प्रदान कर 7 सितम्बर को सम्मानित किया गया पुरस्कार स्वरूप एक लाख रुपये, प्रशस्ति पत्र एवं स्वर्ण पदक प्रदान किया गया। समारोह की अध्यक्षता श्री सुपारराजी भंडारी, अध्यक्ष एवं प्रबन्ध निदेशक भारतीय कृषि बीमा कम्पनी लि. ने की। समारोह के विशिष्ट अतिथि के रूप में साहू, श्री रमेशचन्दजी जैन, अध्यक्ष भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी, एवं श्री चक्रेशकुमारजी जैन ( बिजली वाले) मंचासीन थे। विद्वत् महासंघ पुरस्कार 2003 घोषित तीर्थंकर ऋषभदेव जैन विद्वत् महासंघ द्वारा जैन संस्कृति के प्रचारप्रसार में दिये जा रहे योगदान हेतु प्रतिवर्ष निम्नांकित 2 पुरस्कार प्रदान किये जाते हैं। इसके अन्तर्गत रुपये 11,000.00 की नगद राशि, शाल, श्रीफल एवं प्रशस्ति प्रदान की जाती है। 1. स्व. चन्दारानी जैन, टिकैतनगर स्मृति विद्वत् महासंघ पुरस्कार 2. श्रीमती रूपाबाई जैन, सनावद विद्वत् महासंघ पुरस्कार डॉ. शेखरचन्द जैन, अहमदाबाद की अध्यक्षता में गठित पाँच सदस्यीय निर्णायक मण्डल की अनुशंसा के आधार पर विद्वत् महासंघ की कार्यकारिणी की 9 अक्टूबर 2003 की कुण्डलपुर (नालंदा) में सम्पन्न बैठक में वर्ष 2003 के पुरस्कार क्रमश: (1) पं. खेमचन्द जैन, जबलपुर एवं (2) डॉ. (कु.) मालती जैन, मैनपुरी को प्रदान करने की घोषणा की गई। निकट भविष्य में यह पुरस्कार समर्पित किये जायेंगे। उल्लेखनीय है कि श्री प्रवीणकुमार जैन की अध्ययन, लेखन में गहन अभिरुचि है तथा उन्हें शैक्षिक प्रकाशन व्यवसाय (विद्या पब्लिशिंग हाउस) का दीर्घकालीन अनुभव है। उन्हें शाकाहार के प्रचारप्रसार, पर्यावरण संरक्षण एवं जीव-जन्तुओं की सुरक्षा के लिये मेरठ में पक्षियों का धर्मार्थ अस्पताल' की स्थापना सहित अनेक सरानीय कार्यों के लिये प्रतिष्ठित अहिंसा कार्यकर्ता अवार्ड' से सम्मानित किया जा चुका है तथा शैक्षणिक पुस्तक प्रकाशन के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिये मेरठ वि.वि. के पूर्व कुलपति डॉ. रवीन्द्रकुमार के कर कमलों द्वारा भी सम्मानित किया जा चुका है। 116 श्री प्रवीणकुमार जैन को पीएच.डी. श्री प्रवीणकुमार जैन मेरठ को उनके शोध प्रबन्ध 'भारत में पर्यावरण प्रदूषण के नियन्त्रण के लिये राजनीतिक भूमिका एक विवेचनात्मक अध्ययन' विषय पर चौधरी चरणसिंह विवि मेरठ द्वारा पीएच.डी. की उपाधि प्रदान की गई है। एम.ए. की परीक्षा राजनीति विज्ञान से करने के उपरान्त उन्होंने एस.एस.एस.एस. (पी.जी.) कॉलेज के राजनीति विज्ञान विभाग के अध्यक्ष एवं रीडर डॉ. आर. के. पालीवाल के निर्देशन में अपना शोध कार्य पूर्ण किया। Jain Education International For Private & Personal Use Only अर्हतु वचन, 15 (4), 2003 www.jainelibrary.org
SR No.526560
Book TitleArhat Vachan 2003 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year2003
Total Pages136
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size11 MB
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