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________________ कुण्डलपुर महोत्सव सांसद श्री वी. धनंजयकुमार भगवान ऋषभदेव नेशनल अवार्ड से सम्मानित भगवान ऋषभदेव अन्तर्राष्ट्रीय निर्वाण महामहोत्सव वर्ष (1998-99 ) में परमपूज्य गणिनीप्रमुख, आर्यिकाशिरोमणि श्री ज्ञानमती माताजी की प्रेरणा से जैन धर्म की प्राचीनता एवं भगवान ऋषभदेव द्वारा प्रतिपादित जीवनशैली के प्रचार- प्रसार में दिये गये अविस्मरणीय योगदान हेतु दिगम्बर जैन त्रिलोक शोध संस्थान, हस्तिनापुर द्वारा तत्कालीन वित्त राज्यमंत्री एवं लोकप्रिय सांसद श्री वी. धनंजयकुमार को संस्थान के सर्वोच्च सम्मान भगवान ऋषभदेव नेशनल अवार्ड से सम्मानित करने की घोषणा की गई थी। घोषणानुसार भगवान महावीर की जन्मभूमि कुण्डलपुर (नालंदा) में प्रथम बार बिहार सरकार के पर्यटन मंत्रालय तथा कुण्डलपुर दिगम्बर जैन समिति के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कुण्डलपुर महोत्सव के अन्तर्गत माननीय सांसद श्री वी. धनंजयकुमारजी को पूज्य ज्ञानमती माताजी के ससंघ सान्निध्य में अवार्ड से सम्मानित किया गया। पर इस अवसर रजत प्रशस्ति, शाल, श्रीफल के साथ रु.2 लाख 51 हजार की राशि भी समर्पित की गई। पुरस्कार समर्पण समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में पधारे बिहार के महामहिम राज्यपाल माननीय श्री एम. रामा जोयिसजी ने अपने उद्बोधन में कहा कि भगवान महावीर की जन्मभूमि का एक एक कण पवित्र है। पूज्य ज्ञानमती माताजी द्वारा पुनः आज अहिंसा एवं ज्ञान का प्रकाश विश्व को प्राप्त हो रहा है। अवार्ड से सम्मानित सांसद की प्रशंसा करते हुए महामहिमजी ने कहा कि मैं धनंजयजी को पिछले तीस वर्षों से जानता हूँ। कर्नाटक की मैंगलोर लोकसभा सीट से चुनकर आने वाले वे बहुत ही योग्य और समर्पित कार्यकर्ता अवार्ड समर्पण समारोह का दृश्य हैं। श्री धनंजयजी ने पूज्य माताजी के प्रति अपनी विनय एवं श्रद्धा प्रकट करते हुए कहा कि उनके आशीर्वाद से बहुत से अच्छे काम सफलता पूर्वक सम्पन्न हो रहे हैं। वे जन-जन में पूज्य लोकमाता हैं। पूज्य गणिनीप्रमुख श्रीज्ञानमती माताजी ने अपने आशीर्वचन में श्री धनंजयकुमारजी की सादगीपूर्ण जीवनशैली, धर्म के प्रति समर्पण का भाव, तीर्थ एवं गुरु भक्ति की प्रशंसा की एवं उनके स्वस्थ, यशस्वी जीवन हेतु आशीर्वाद प्रदान किया। पूज्य प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका श्री चन्दनामती माताजी एवं क्षुल्लक श्री मोतीसागरजी महाराज ने भी अवार्ड समारोह को सम्बोधित किया। कार्यक्रम में श्री धनंजयजी सपरिवार उपस्थित थे। संस्थान के पदाधिकारियों ने महामहिमजी के साथ मिलकर श्री धनंजयजी को यह अवार्ड प्रदान किया। इस अवसर पर कुण्डलपुर महोत्सव स्मारिका का विमोचन भी किया गया। अर्हत् वचन, 15 ( 4 ), 2003 Jain Education International For Private & Personal Use Only 103 www.jainelibrary.org
SR No.526560
Book TitleArhat Vachan 2003 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year2003
Total Pages136
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size11 MB
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