SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 89
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अर्हत् वच कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर, टिप्पणी - 5 कृषि एवं उद्यानिकी फसलों का उत्पादन एवं पर्यावरण संरक्षण ■ सुरेश जैन 'मारोरा' * मिट्टी एक जीवित पदार्थ है, अतः इसकी देखभाल भी अन्य जीवित प्राणियों की तरह ही होनी चाहिये। हमारे देश में हरित क्रांति में जो भूमि की उर्वरता नष्ट करने, नदी-नालों को प्रदूषित करने तथा मनुष्य शरीर में विषैलापन भरने के प्रयास किये हैं, अब उन्हें बदला जाना आवश्यक है। आज के परिप्रेक्ष्य में यह अत्यन्त जटिल कार्य होगा कि पर्यावरण की रक्षा करते हुए कृषि, उद्यानिकी फसलों का उत्पादन कैसे बढ़ायें। कृषि रासायनिक उर्वरकों का उपयोग बन्द कर जीवाणु खाद का उपयोग करने की आवश्यकता है। यह रासायनिक उर्वरकों की तुलना में सस्ता एवं प्रदूषण रहित है। जैविक विधि से रोग नियंत्रण भी एक सरल उपाय है। जैविक खाद - कुछ पौधों के उत्पादों में (खाने के अयोग्य ) उर्वरक तत्व एवं कीटनाशक गुण पाये जाते हैं। फसल एवं पेड़ पौधों के उत्पादन में 16 तत्वों की आवश्यकता होती है जिसमें 6 मुख्य तत्व एवं 10 गौड़ तत्व हैं, मुख्य तत्व एन ( नाइट्रोजन), पी (फास्फोरस), के ( पोटाश), कार्बन, हाइड्रोजन, आक्सीजन हैं, जिन्हें पौधे अपने आप ग्रहण कर लेते हैं। 10 गौड़ तत्व केलशियम, बोरोन, मैग्नीज, मैग्नीशियम, मौलीविडनम, क्लोरीन, आयरन, कोपर, जस्ता, आदि हैं। जब सूक्ष्म तत्वों की कमी होती है तब इन तत्वों को अलग से देकर अधिक उत्पादन ले सकते हैं, लेकिन हर वर्ष इन तत्वों की पूर्ति रासायनिक खाद, उर्वरक, दवाओं के रूप में करते-करते भूमि की उर्वरता नष्ट हो रही है। फसलों पर इन तत्वों को खाद और दवा के रूप में न देकर जैविक विधियों से पैदा कर पूर्ति की जा सकती है, जिससे भूमि की उर्वरता नष्ट न होकर जन्म जन्मांतरों के लिये बढ़ती चली जाती है और अच्छा उत्पादन होता है, कुप्रभाव भी नहीं होता। प्रदूषण से भी बचा जा सकता है, पर्यावरण की भी रक्षा की जा सकती है। अर्थात् यों भी कहें कि कृषि उत्पादन जीवाणु खाद या जैविक कीट नियंत्रण से ही बढ़ाया जाकर पर्यावरण की रक्षा सम्भव है। जीवाणु खाद में गोबर, मलमूत्र, कूड़ा करकट, गोबर गैस, केंचुए की खाद, नील, हरितकाई, नीमखली, तिल, अलसी, सोयाबीन, महुआ की खली आदि जीवाणु खाद नाडेप विधि द्वारा बनाई जाती है, कैंचुऐं द्वारा भी तैयार की जाती है। Jain Education International जीवाणु खाद से लाभ 1. नीमखली को गोबर के साथ उपयोग करने से पौधों की जड़ों में गठानें बनती हैं, दीमक का प्रकोप नहीं होता। जमीन के पी. एच. को नीमखली संशोधित करती है। 2. नीम, तिल, सोयाबीन, अलसी की खली जानवरों का भोजन है। 3. नाडेप से बने खाद में सभी तत्व अधिक से अधिक मात्रा में मौजूद रहते हैं, इसके उपयोग से रासायनिक खाद की तुलना में अधिक उपज मिलती है। 4. कैंचुए जमीन की तीन मीटर गहराई तक जुताई कर देते हैं, 10 एम.एम. की सतह तक जितना हयूमस दो सौ वर्षों में एकत्रित होता है उतना कैंचुए एक वर्ष में एकत्रित करते हैं। यह पर्यावरण या किसान के मित्र कहे जा सकते हैं। इनके उपयोग से ( कचरे से) जो खाद बनती है, वह संतुलित खाद होती है, जिससे रासायनिक खाद तथा दवाइयों की बचत होती है, बंजर भूमि अर्हत् वचन, 15 (3), 2003 For Private & Personal Use Only 87 www.jainelibrary.org
SR No.526559
Book TitleArhat Vachan 2003 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year2003
Total Pages148
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy