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पापमः नये महामना शिटेप ऐस्मो
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सार्वर्लेप श्विरोत्पनायवगोधूमशाल यामु भाट की मसुराचा माक्षिकंजांगला मित्राबाट कलमेताय। पटोलतीफ लंकाक माचानिंग पालनं हिममोचक नर्नवा मे महंगा चक्रमर्ददला निश्वान सा तर्क पक्कताली खदिर चित्र कोर नेहाः सरल देवादा शिंशपागुरु संदा। मूत्रा लिमरवरी प्राध्यामहिषीजन तानि च॥१॥ कस्तुरिका गंधसार शिका भिक्षारकमेव । यथाद। समस्लानिपथ्यानेता निकट स्विदे भवाय द मि वेग मिक्ता माया ममम्ला नितीश्च माषान् श्रभू मांसंदग्धिमद्येोरं चकुशममिवस्पजेयु ॥ श्रोग पध्याप शिविधि1851 सीम पिता दिसेगमर्दिर्विरे बम लेपोस्ट प्रोतोजी शालय जांगलेरा मिषे मुके । कल है र्वा कृतो र सो क] कटकंकार बेछ। सिघुमूल कपोतका शालि चाकं बेत्रादाि त्रिफला मा कटूते लेतलनी पित्रले पहरा लिया कटुतिक्तकषायानिःसर्वालीति एगः सरखा शीतपित्रोदारी रामः मि एस्पास्पद्यामल सरित जाताविविध विकारा॥ मत्स्योदकानूपन का मिश्रा निनदीनमन्नंव मिथेग रोधीप्रदक्षिणा सापवनोति १२
वृष
'पथ्यापथ्य विधि' का एक पृष्ठ
...
मेष
धन सिंह पूर्वायांन
दक्षिणेन
पश्चिमन
- याला यो लिषकर्क रेनर रंग चित्रविषाद कुल सय पुत्र विषतिरोगभयान मोकचतुष्टयंयंत्रे गे मृदुचचरविरिभौमंशनं पिनान्याद्यारनंत पोनेद्या लोचनादिशुभाशुभम् घाटनं प्रथम दिन विचरण नपपधानादिनं दीवास निक्षेपः मालोचनादिप्रायश्चित्तद) नं श्रादिशब्दा ल्लोचक मोलि सिंहेधनुचा मूला भः कन्यकानुले कृष्विक सिंह ! वक्र धनुर्वत् दक्षिणाभ्पन्नतेमी नमेषे कुंभ रषे सम ३०५ निथुने मकरेचो साथहलोपमः धनु कर्के रवै। श्लाध्यै मन नवेंदुर सनौन्यथा, विदुरं चसमे चद्रे दुर्भिक्षं दक्षिणोन्नते" व्याधिपीडाभ भूले सुभक्षं चोत्तरोचते ॥ ३धारनेर साः स पंगांति शुले रष्टि समागमः कम्मे मत विजानीया सुभसं
उत्तर रहनषेध.
कन्या तुला
मूला भवत्
मेष
ॐभ
वृष
मिथुन
धनु
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संस्कृति की अमूल्य निधियाँ पांडुलिपियाँ
पथ्यापथ्य लिधि का एक पष्ठ
मिथुन तुला | कुंभ रविक मीन कर्क
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मकर कन्या
'नारद्रव ज्योतिष' ग्रन्थ का एक पृष्ठ
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दक्षिणेोन्नत
सम- चंद्र
उत्तरोन्नत
हलोपम
मकर
कर्क
द्वितीयश्चंद्रोदय यंत्र
अर्हत् वचन, 15 (3), 2003
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