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________________ टिप्पणी-4 । अर्हत् वचन (कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर) भारतीय अहिंसा महासंघ की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि नई मांस योजना अस्वीकृत - डॉ. चिरंजीलाल बगड़ा* दसवीं पंचवर्षीय योजना अपनी तैयारी के अंतिम चरण में है। आगामी पाँच वर्षों तक देश की मांस नीति बनाने के लिये योजना आयोग द्वारा बनाई एक 6 सदस्यीय उपसमिति में अल्लाना समूह के चेअरमेन श्री इरफान अल्लाना (अध्यक्ष), श्री सतीश साबरवाल (अलकबीर के मालिक), तीन सरकारी प्रतिनिधि तथा मैं, इस प्रकार छ: सदस्य थे। इस समिति में बाकी पाँच सदस्य एकमत थे, एकमात्र मैंने बयालीस पृष्ठीय अपना लिखित प्रतिवाद अनेक दस्तावेजों एवं पुस्तकों को संलग्न करके प्रस्तुत किया था। मुख्य कार्यसमिति के अध्यक्ष डॉ. पी. एन. भट्ट ने योजना आयोग उपाध्यक्ष को गत 25 जनवरी 2002 को 174 पृष्ठ की अपनी अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें मेरे प्रतिवाद का तीन पृष्ठीय मुख्य पत्र (पृष्ठ 172 - 174) यथावत संलग्न है। ज्ञात रहे डॉ. भट्ट वर्ल्ड बफेलो ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं तथा उनका मांस एवं मांस निर्यात से सीधा व्यक्तिगत रूझान है। उनके खिलाफ अनेक आर्थिक अनियमितताओं के केस भी सरकार के विचाराधीन हैं तथा उनकी जांच चल रही है। उक्त उपसमिति ने करोड़ों रुपयों के विनियोजन से पूरे देश में, गाँव - गाँव में बूचड़खानों का जाल बिछा देने की सिफारिश की थी। जिनमें प्रमुख सुझाव थे - 50 निर्माणाधीन बूचड़खानों को शीघ्र पूरा करना, 10 महानगरों में, 50 बड़े शहरों में, 500 मध्यम शहरों में तथा 1000 ग्रामीण इलाकों में नये बूचड़खाने बनाना, साथ ही 50 शहरों में सुअर मारने वाले कत्लखाने खोलना तथा 1000 चिकन ड्रेसिंग केन्द्र खोलना, ..... आदि आदि। इसके अलावा भी मास उद्योग को प्रोत्साहन देने वाले अनेक सुझाव दिये गये थे। सुखद है कि हमारे अनेक अप्रत्यक्ष दबावों एवं देश के अनेक सक्रिय व्यक्तियों, संस्थाओं एवं साधु-संतों के प्रबल विरोध के चलते तथा मेरे लिखित प्रतिवाद को ही प्रमुख आधार बनाकर योजना आयोग ने उक्त उपसमिति के प्रस्तावों का पुनर्मूल्यांकन करना स्वीकार किया तथा अन्तत: उन्होंने नये बुचडखानों के निर्माण की समस्त प्रस्तावित योजनाओं को अस्वीकृत कर दिया। तीव्र विरोध को देखते हुए योजना आयोग ने अधिकृत सूचना जारी कर इसकी पुष्टि भी की है जिसमें स्पष्ट घोषणा की है कि - 'उक्त रिपोर्ट में सदस्यों की व्यक्तिगत पक्ष - विपक्ष में राय को देखते हुए मांस उपसमिति की सिफारिशों को योजना आयोग अमान्य घोषित करती है।' यह अहिंसा की संगठित शक्ति की एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक उपलब्धि है। * सम्पादक-दिशा बोध, 46, स्ट्राण्ड रोड़, तीन तल्ला, कोलकाता - 700007 94 अर्हत् वचन, 14 (4). 2002 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.526556
Book TitleArhat Vachan 2002 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year2002
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size9 MB
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