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________________ आतंकवाद - अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए हिंसक, अलोकतांत्रिक, अमानवीय तथा अवैध तरीकों का प्रयोग कर मनुष्य में आतंक फैलाना ही आतंकवाद हैं। आतंक का अर्थ भय उत्पन्न करना हैं। भय उत्पन्न करके अपने उद्देश्यों की पूर्ति करना ही आतंकवाद हैं। विश्व के राजनैतिक - सामाजिक जीवन में आतंकवाद नई घटना नहीं है। सर्वोच्च और शक्तिशाली लोगों का यही दर्शन था "हमें जो चाहिये हम उसे किसी भी कीमत पर, किसी भी सूरत में हॉसिल करके रहेगें। और उनकी कार्य प्रणाली थी 'कुछ को ऐसी सजा दो, जो लाखों में डर व्याप्त कर दे।" इनसाइक्लोपीडिया ऑफ सोशल साइंसेज में आतंकवाद का उल्लेख इस प्रकार है - "आतंकवाद के द्वारा एक संगठित समूह या दल हिंसा के क्रमबद्ध उपयोग द्वारा अपने सुनिश्चित लक्ष्यों को प्राप्त करने का प्रयास करता है मृत्यु और विनाश उसकी योजना के अंग होते हैं।" भारत के इतिहास में हिरण्यकश्यप और कंस ने, मुगलकाल में चंगेज खाँ, नादिरशाह और औरंगजेब ने लोगों को आतंकित करने के लिये आतंकवाद को हथियार के रूप में अपनाया। समय परिवर्तन के साथ आज राजनैतिक, सामाजिक, दार्शनिक विचारधारात्मक या धार्मिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए आतंकवाद प्रयोग में लाया जा रहा हैं। इक्कीसवीं सदी में मानवता के लिये अभिशाप बने आतंकवाद ने संपूर्ण विश्व के सामने कड़ी चुनौतियाँ खड़ी कर दी हैं। आज आतंकवादी न सिर्फ तोपों, बंदूकों, हथगोलों व बमों का प्रयोग कर रहे हैं अपितु अब जैविक युद्ध की आशंका भी बलशाली हो रही हैं। जैविक युद्ध से तात्पर्य चेचक व प्लेग के वायरस से बने उन खतरनाक बमों तथा गैस से है, जिनके छोड़े जाने से अत्यंत संक्रामक, घातक व जानलेवा रोग तीव्रता से फैलते हैं। आजकल मुख्य रूप से चार प्रकार का आतंकवाद दृष्टि गोचर हो रहा हैं - युद्ध आतंक, दमनात्मक आतंक, क्रांतिकारी आतंक तथा उपक्रांतिकारी आतंक (राजनैतिक तथा वैचारिक उद्देश्यों के लिये किये गये कृत्य)। हिंसा और आतंकवाद आज मानव समाज के लिये अभिशाप बने हुए हैं। आतंकवाद शब्द सुनते से ही सिहरन महसूस होने लगती हैं। इस शब्द में ही भय छुपा हुआ हैं। आज आतंकवाद विश्वव्यापी समस्या बन चुका हैं, आतंकवाद सभी राष्ट्रों की अस्मिता के लिए खतरा बन चुका हैं। आतंकवादी बल प्रयोग को दिव्यास्त्र मानते हैं, तथा संहारक शक्ति की आराधना करते हैं। 11 सितम्बर - 2001 को अमेरिका की भयावह, वीभत्स तथा झकझोर देने वाली त्रासदी इस बात को रेखांकित करती हैं कि तुलनात्मक रूप से साधन विहीन चंद निरकुंश लोग संसार के सर्वाधिक सम्पन्न तथा सशस्त्र महाशक्ति को असहाय एवं निरूपाय साबित करने में किस सरलता से सफल हुए। सारी सैन्य शक्ति, सारी तकनीक व विज्ञान, सारे अस्त्र - शस्त्र, सारी गुप्तचर प्रणाली यूं ही धरी रह गई। भारत ने पंजाब में आतंकवाद की पीड़ा सही है, कश्मीर लगातार पाक-प्रायोजित आतंकवाद की वेदना सहन कर रहा है, अन्य प्रदेशों में भी आतंकवाद अंकुरित, पुष्पित व पल्लवित हो रहा हैं। सितम्बर में न्यूयार्क के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर तथा पेंटागन स्थित रक्षा विभाग पर हए हमलों के पश्चात भारत में संसद व अमेरिकन सेंटर पर हए हमले आतंकवाद की जीती-जागती मिसाल हैं। 16 अर्हत् वचन, 14 (4), 2002 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.526556
Book TitleArhat Vachan 2002 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year2002
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size9 MB
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