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________________ गत 7 मई को इन्दौर के जैन पत्रों के 4 सम्पादकों का एक दल पूज्य आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज के दर्शन एवं उनसे सामयिक विषयों पर मार्गदर्शन प्राप्त करने सिद्धोदय सिद्धक्षेत्र नेमावर (जिला देवास - म. प्र. ) गया था। दल में निम्न सदस्य सम्मिलित थे 1. श्री माणिकचन्द पाटनी, प्रधान सम्पादक- परिणय प्रतीक श्री जयसेन जैन, सम्पादक - सन्मति वाणी 2. 3. श्री रमेश कासलीवाल, सम्पादक- वीर निकलंक तथा 4. डॉ. अनुपम जैन, सम्पादक - अर्हत् वचन एवं प्रधान सम्पादक- महासमिति पत्रिका । पूज्य आचार्यश्री ने लगभग 2.5 घंटे की चर्चा में विभिन्न विषयों पर महत्वपूर्ण मार्गदर्शन प्रदान किया । भगवान महावीर 2600 वें जन्मजयन्ती महोत्सव वर्ष की चर्चा के सन्दर्भ में आपने कहा कि मेरा सदैव से स्पष्ट मत है कि हमें अपने मन्दिरों एवं मूर्तियों के निर्माण में शासन से पैसा नहीं लेना चाहिये, यह हमारी श्रद्धा का विषय है। इस कार्य में भक्तों के द्वारा ही राशि लगनी चाहिये । 1. 2. 3. कुण्डलपुर पर एक प्रामाणिक सन्दर्भ ग्रन्थ की जरूरत • आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज Jain Educamion me कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ की गतिविधियों पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए आपने श्री देवकुमारसिंहजी कासलीवाल, डॉ. अनुपम जैन एवं उनके सभी सहयोगियों को आशीर्वाद दिया । बहुचर्चित भगवान महावीर जन्मभूमि प्रकरण पर अपनी राय व्यक्त करते हुए आचार्यश्री ने कहा कि तीर्थंकरों की जन्मभूमि का निर्णय दिगम्बर जैन आगमों के आधार पर ही होना चाहिये । आपने कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ को आदेश दिया कि वे परम्परामान्य एवं आगमसम्मत महावीर जन्मभूमि कुण्डलपुर (नालंदा) के पक्ष में सभी प्रामाणिक सन्दर्भों को संकलित कर इसके विरोध में उठाये जा रहे प्रश्नों का तर्कपूर्ण समाधान प्रस्तुत करने वाली प्रस्तुत का सृजन कराये । इससे विवादों को विराम मिलेगा । डॉ. अनुपम जैन ने इस समय एवं श्रमसाध्य कार्य के यथाशीघ्र क्रियान्वयन का विश्वास दिलाया। CULTIVALEN FRISODALUSE ULIV Manasalileiecinciden
SR No.526554
Book TitleArhat Vachan 2002 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year2002
Total Pages148
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size9 MB
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