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________________ जैन धर्म की सर्वोत्तम पुस्तकों पर दो लाख रुपयों के पुरस्कार की घोषणा भगवान महावीर फाउण्डेशन, चेन्नई ने भगवान महावीर के 2600 वें जन्म कल्याणक महोत्सव वर्ष के उपलक्ष्य में जैन धर्म एवं दर्शन की हिन्दी व अंग्रेजी की सर्वोत्तम पुस्तक पर प्रत्येक पर एक लाख रूपये पुरस्कार स्वरूप प्रदान करने का निश्चय किया है। प्रत्येक पुरस्कार प्राप्तकर्त्ता को प्रशस्तिपत्र एवं स्मृतिचिन्ह भी प्रदान किये जायेंगे। इस पुस्तक को लिखवाने का उद्देश्य एक ही है कि एक ही पुस्तक द्वारा जैन धर्म एवं दर्शन का हार्द्र (मर्म) अभिव्यक्त हो पुस्तक की भाषा सरल एवं सरस होनी चाहिये ताकि सामान्य जिज्ञासु व्यक्ति (जैन एवं जैनेत्तर) भी उसका आशय भलीभांति समझ सके इस पुस्तक में किसी विशेष जैन सम्प्रदाय का प्रस्तुतीकरण नहीं होना चाहिये प्रस्तुत की जाने वाली पुस्तक में भगवान महावीर के सार्वभौमिक सिद्धान्तों का आधुनिक ढंग से प्रतिपादन तथा वर्तमान युग की समस्याओं के समाधान में उसकी उपयोगिता आदि का प्रतिपादन अवश्य किया जाना चाहिये। विषय को और अधिक सुगम बनाने के लिये पुस्तक में चित्र एवं रेखा चित्र भी दिये जा सकते हैं। पुस्तक का शीर्षक आकर्षक हो । सामान्यतया पुस्तक की अनुमानित पृष्ठ संख्या 250 से अधिक नहीं होनी चाहिये पुस्तक लेखक की मौलिक तथा अप्रकाशित कृति होनी चाहिये इस पुरस्कार के अतिरिक्त, फाउण्डेशन अपनी इच्छानुसार ऐसी अन्य कृतियों को, यदि योग्य पायी गई तो रू. 50000/प्रत्येक के दो पुरस्कार भी प्रदान कर सकती है। चयन समिति द्वारा विचारार्थ पुस्तक की पाण्डुलिपि की छह प्रतियाँ पृष्ठ (ए / 4 साइज) के एक तरफ टाइप कराकर जमा करानी होगी। प्रारंभ में पुस्तक का सारांश, जो दस पृष्ठों से अधिक न हो, फाउण्डेशन को प्रेषित करना होगा। फाउण्डेशन हिन्दी एवं अंग्रेजी भाषाओं के विद्वानों को उपर्युक्त नियमों के आधार पर जैन धर्म एवं दर्शन पर सर्वोत्तम पुस्तक लिखने के लिये आमंत्रित करता है। अन्य विवरण हेतु संयोजक से निम्न पते पर सम्पर्क करें चिन्तक / लेखकों के लिये अपूर्व अवसर चिन्तनशील लेखकों को यह जानकर प्रसन्नता होगी कि श्री दिग, जैन साहित्य, संस्कृति, संरक्षण समिति के संस्थापक सुश्रावक श्री शिखरचन्द्रजी जैन, नई दिल्ली ने भगवान महावीर के 2600 वें जन्मकल्याणक समारोह वर्ष को सार्थक बनाने हेतु भगवान महावीर द्वारा प्रतिपादित अहिंसा विषय पर लिखित सर्वोत्कृष्ट ग्रंथ पर रू. 51,000/- के पुरस्कार की घोषणा की है। यह पुस्तक मौलिक होने के साथ साथ रोचक शैली तथा सरल भाषा में सर्वगम्य होनी चाहिये। दुलीचन्द जैन, संयोजक पो.बा. 2983, 11 पोन्नप्पा लेन, ट्रिप्पिलकेन हाई रोड, चेन्नई-600005 फोन : 044-8571066, 8571246 वर्तमानकालीन विषम समस्याओं के समाधान में अहिंसा की उपयोगिता, साथ ही जैनेत्तर प्राच्य एवं पाश्चात्य चिन्तकों द्वारा प्रतिपादित अहिंसा की परिभाषाओं से जैन अहिंसा के वैशिष्ट्य का प्रतिपादन भी उसमें अनिवार्य है इस बात का ध्यान रखना भी आवश्यक होगा कि उसमें इतर धर्मों के प्रति छींटाकशी न हो तथा वह ग्रंथ पूर्णतया निर्विवाद हो । 134 अनेक विद्वानों के पास सूचना पत्र प्रेषित किये जा चुके हैं। फिर भी यदि किसी कारण से उनके पास सूचना न पहुँची हो, तो निम्न पते पर पत्र लिखकर विस्तृत जानकारी मंगवाने की कृपा करें Jain Education International - - शिखरचन्द जैन डी 302, विवेक विहार, नई दिल्ली 110095 फोन: 011-2152244 2167631 फैक्स : 011-2281100 - For Private & Personal Use Only अर्हत् वचन, 14 (23), 2002 www.jainelibrary.org
SR No.526554
Book TitleArhat Vachan 2002 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year2002
Total Pages148
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size9 MB
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