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कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ पुरस्कार
__ श्री दिगम्बर जैन उदासीन आश्रम ट्रस्ट, इन्दौर द्वारा जैन साहित्य के सृजन, अध्ययन, अनुसंधान को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर के अन्तर्गत रुपये 25,000 = 00 का कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रतिवर्ष देने का निर्णय 1992 में लिया गया था। इसके अन्तर्गत नगद राशि के अतिरिक्त लेखक को प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिह्न, शाल, श्रीफल भेट कर सम्मानित किया जाता है।
1993 से 1999 के मध्य संहितासूरि पं. नाथूलाल जैन शास्त्री (इन्दौर), प्रो. लक्ष्मीचन्द्र जैन (जबलपुर), प्रो. भागचन्द्र ‘भास्कर' (नागपुर), डॉ. उदयचन्द्र जैन (उदयपुर), आचार्य गोपीलाल 'अमर' (नई दिल्ली), प्रो. राधाचरण गुप्त (झांसी) एवं डॉ. प्रकाशचन्द्र जैन (इन्दौर) को कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।
वर्ष 2000 का पुरस्कार 'भगवान ऋषभदेव' पर लिखित किसी मालिक प्रकाशित / अप्रकाशित कृति पर दिया जायेगा। कृति में भगवान ऋषभदेव के साहित्य, इतिहास एवं पुरातत्त्व में उपलब्ध सभी सन्दर्भ मूलत: एवं प्रामाणिक रूप में संकलित होने चाहिये। वैदिक साहित्य के उद्धरणों के प्रामाणिक अनुवाद भी ससन्दर्भ दिये जाना अपेक्षित है। वर्ष 2001 का पुरस्कार जैन धर्म/दर्शन की वैज्ञानिक प्रकृति को उद्घाटित करने वाली कृति पर दिया जायेगा। यह कृति समग्र या किसी एक विधा पर केन्द्रित हो सकती है। हिन्दी / अंग्रेजी भाषा में लिखित मौलिक प्रकाशित / अप्रकाशित एकल कृति निर्धारित प्रस्ताव पत्र के साथ अन्तिम तिथि तक कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ के कार्यालय में प्राप्त होना आवश्यक है। प्रकाशित कृति 1995 से पूर्व प्रकाशित नहीं होनी चाहिये। प्रस्ताव पत्र कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ कार्यालय में उपलब्ध
वर्ष 2000 हेतु अन्तिम तिथि - 30 जून 2001
वर्ष 2001 हेतु अन्तिम तिथि - 31 दिसम्बर 2001 देवकुमारसिंह कासलीवाल
अध्यक्ष
डॉ. अनुपम जैन मानद सचिव
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अर्हत् वचन, अप्रैल 2001
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