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________________ गतिविधियाँ पार्श्वनाथ विद्यापीठ - इन्दौर परिसर को शोध केन्द्र के रूप में मान्यता जैन धर्म दिवाकर स्थानकवासी जैन श्रमण संघ के यशस्वी आचार्य श्री देवेन्द्रमुनिजी महाराज साहब की सद्प्रेरणा से स्थापित ख्यातिप्राप्त पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी की स्वतंत्र इकाई इन्दौर परिसर को देवी अहिल्या वि.वि., इन्दौर ने शोध केन्द्र के रूप में मान्यता प्रदान कर दी है। इस संदर्भ में यह महत्वपूर्ण है कि मात्र एक वर्ष की अवधि में वर्द्धमान सेवा केन्द्र ट्रस्ट द्वारा शोधकर्ताओं को अपने विषय से सम्बंधित अध्ययन की दृष्टि से दिवाकर ग्रन्थालय, रतलाम कोठी, इन्दौर में पार्श्वनाथ विद्यापीठ के पुस्तकालय में पाँच हजार धर्म शास्त्र एवं दुर्लभ धर्मग्रन्थों का संग्रह किया गया है, जिनसे विभिन्न अंगों पर शोधकार्य किया जा सकता है। इस शोध केन्द्र में देश के किसी भी वि.वि. से एम.ए. की डिग्री प्राप्त करने वाले अभ्यार्थी विश्वविद्यालय द्वारा स्थापित मापदण्डों के अनुरूप पीएच. डी. की उपाधि हेतु रजिस्ट्रेशन करवाकर शोध कार्य कर सकता है। इस सन्दर्भ में विश्वविद्यालय के इस शोध केन्द्र में धर्म, दर्शन के व्यापक परिप्रेक्ष्य में विभिन्न विषयों में अध्ययन, पठन पाठन, शोध, मनन चिंतन और अनुसंधान की डाक्टरेट स्तर तक विभिन्न स्तरों की सुविधाएँ उपलब्ध कराई जायेंगी । इस केन्द्र में श्रद्धेय साधु-साध्वियों, श्रावक-श्राविकाओं और पूरे भारतीय समाज के जिज्ञासु व्यक्तियों को जैन धर्म एवं दर्शन पर अध्ययन, शोध और पठन पाठन की अनुकूल सुविधाएँ उपलब्ध हैं। पार्श्वनाथ विद्यापीठ, इन्दौर परिसर के दिवाकर भवन में एक और मंजिल का निर्माण कार्य लगभग सम्पन्न हो चुका है। जैन समाज के सभी धर्मप्रेमी और श्रद्धालु महानुभावों तथा संस्थाओं से हमारा यह विनम्र अनुरोध है कि वे इस विद्यापीठ द्वारा ऊपलब्ध सुविधाओं से पूरा पूरा लाभ उठायें। केन्द्र के संयोजकों ने अनुरोध किया है कि आपकी जानकारी में जो भी श्रद्धेय संत-साध्वीगण एवं श्रावक-श्राविकाएँ जैन दर्शन का उच्च अध्ययन व शोध कार्य करना चाहते हों, उन्हें इस संस्था द्वारा प्रदत्त सुविधाओं से अवगत कराकर शोध कार्य हेतु अपना रजिस्ट्रेशन पार्श्वनाथ विद्यापीठ, इन्दौर में कराने का कष्ट 1 सम्पर्क सूत्र पार्श्वनाथ विद्यापीठ इन्दौर परिसर एफ-11, रतलाम कोठी, इन्दौर - 452003 फोन : (का.) 264151 (नि.) 531642 वाग्भारती पुरस्कार डॉ. सुरेन्द्र जैन 'भारती' को प्रदत्त वर्ष 1999 का वाग्भारती पुरस्कार बुरहानपुर (म. प्र. ) के युवा विद्वान डॉ. सुरेन्द्र जैन 'भारती' को प्रदान किया गया। आचार्य श्री पुष्पदंतसागरजी महाराज के ससंघ सान्निध्य में आयोजित जैन मन्दिर, न्यू रोहतक रोड़, दिल्ली में आयोजित भव्य एवं विशाल समारोह के मध्य वाग्भारती (मैनपुरी) के अध्यक्ष व पुरस्कार संस्थापक डॉ. उन्हें प्रदान किया। इस पुरस्कार में रु. प्रशस्ति प्रदान की गई। सुशील जैन मैनपुरी ने यह पुरस्कार 11,000 = 00 की नगद राशि एवं अर्हत् वचन, जुलाई 2000 79
SR No.526547
Book TitleArhat Vachan 2000 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year2000
Total Pages92
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size17 MB
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