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________________ कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ पुस्तकालय व्यवस्थित है, देखकर प्रसन्नता हुई। 31.10.99 - अनिलकुमार जैन कागजी डी - 107, प्रीतविहार, दिल्ली- 110092 आज दिगम्बर जैन महासमिति के एकता शंखनाद समारोह के सिलसिले में इन्दौर आना हुआ, स्वाभाविक है कि मैं कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ आता, विगत वर्षों में भी मैं अनेक बार कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ आया, किन्तु आज पुस्तकालय तथा जैन साहित्य सूचीकरण परियोजना को नजदीक से देखने और जानने का योग बना। मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ एक अन्तर्राष्ट्रीय सूचना केन्द्र के रूप में विकसित हो रहा है। संस्था के प्रमुख श्री देवकुमारसिंह कासलीवाल एवं सचिव डॉ. अनुपम जैन का समर्पण प्रशंसनीय है। मैं इस संस्था की निरन्तर प्रगति की कामना करता हूँ। 31.10.99 .ब्र. रवीन्द्रकुमार जैन अध्यक्ष - दि. जैन त्रिलोक शोध संस्थान, जम्बूद्वीप- हस्तिनापुर - 250404 कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ का अवलोकन कर परमानन्द का अनुभव हुआ। इस ज्ञान मन्दिर में धर्म और ज्ञान के पिपासुओं के लिये जो अमृत घट भरे रक्खे हैं, वह अमरत्व के प्रतीक हैं। विभिन्न विषयों की प्राचीन / अर्वाचीन पुस्तकें, आगम, पत्र-पत्रिकाएँ उपलब्ध ही नहीं, सहज प्राप्य तथा पठन-पाठन की समुचित व्यवस्था भी है, यह कार्य वास्तव में ही बहुत ही उपयोगी तथा महान कार्य है। ज्ञान पिपासुओं तथा शोधकर्ताओं के लिये तो बहुत ही उत्तम स्थान है। इस प्रकार की संस्थाएँ हर प्रान्त में मुख्यत: जहाँ भी जैन - जैनेतर विद्वत् समुदाय है, अवश्य ही होनी चाहिये। संस्था के संस्थापक तथा अध्यक्ष श्री कासलीवालजी एवं मानद् सचिव डॉ. अनुपम जैन साधुवाद के पात्र हैं। उनके सान्निध्य में यह संस्था लघु बीज से महान विशाल विटप बने, ऐसी मेरी हार्दिक मंगल कामना है। 2.11.99 - डॉ. विमला जैन 1/344, सुहाग नगर, फिरोजाबाद-283203 कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ का अवलोकन करने के उपरान्त इसे साहित्य से अति समृद्ध लाइब्रेरी पाया, इसमें विभिन्न आगमों एवं ग्रन्थों का दुर्लभ संग्रह है। डॉ. अनुपम जैन ने अत्यन्त सुव्यवस्थित एवं वैज्ञानिक वर्गीकरण करके पुस्तकों की देखरेख की अनुकरणीय व्यवस्था की है। ज्ञानपीठ द्वारा प्रकाशित 'अर्हत् वचन' जैन धर्म की पंथ निरपेक्ष एकमात्र शोध पत्रिका है, लेखों का संग्रह उच्च स्तर का है। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इन्दौर द्वारा मान्यता प्राप्त होने के कारण ज्ञानपीठ की प्रामाणिकता स्वयंसिद्ध मैं ज्ञानपीठ की उन्नति की कामना करता हूँ तथा देश के लब्ध प्रतिष्ठित ग्रन्थागारों में गिनती होने के लिये अपनी शुभकामनाएँ देता हूँ। 10.11.99 - प्रवीण कुमार जैन विद्या प्रकाशन मन्दिर मेरठ आज के ज्ञान व विज्ञान का केन्द्र सूचना विज्ञान है, कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ इस तंत्र से जुड़ा है इसलिये वह अब आज की बौद्धिक सोच का केन्द्र हो गया है, यह देखकर अच्छा लग रहा है। 25.11.99 .प्रो. वृषभप्रसाद जैन निदेशक - महात्मा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी वि.वि., वर्धा (महा.) अर्हत् वचन, अप्रैल 2000
SR No.526546
Book TitleArhat Vachan 2000 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year2000
Total Pages104
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size6 MB
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